Shimla News: हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन को हरित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। हिमाचल रोड परिवहन निगम नवंबर महीने में अपने बेड़े में 297 नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल करेगा। इन बसों की डिलीवरी से पहले निगम ने निर्माता कंपनी को दो बसों का ट्रायल करने का निर्देश दिया है। इस ट्रायल का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में बस के माइलेज की वास्तविक जांच करना है।
निगम ने बस निर्माता कंपनी से कहा है कि वह 15 अक्टूबर तक दो बसें ट्रायल के लिए भेजे। कंपनी का दावा है कि यह इलेक्ट्रिक बस एक बार पूर्ण चार्ज पर 180 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। वर्तमान में एचआरटीसी के पास जो इलेक्ट्रिक बसें हैं, वे एक चार्ज में केवल 150 किलोमीटर ही चल पाती हैं। इसलिए नई बसों की क्षमता को परखना जरूरी है।
ट्रायल के दौरान बसों के प्रदर्शन की पड़ताल की जाएगी। निगम की तकनीकी टीम ने हाल ही में हैदराबाद में जाकर बसों के ढांचे और अन्य तकनीकी पहलुओं का निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने कंपनी को टेंडर में निर्धारित शर्तों के अनुसार ही बसों के निर्माण को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उठाया गया है।
नवंबर में मिलने वाली पहली खेप में एचआरटीसी को 100 से 120 नई इलेक्ट्रिक बसें प्राप्त हो जाएंगी। एक खास बात यह है कि अगले 12 वर्षों तक इन बसों की मरम्मत की जिम्मेदारी निर्माता कंपनी की ही रहेगी। इस व्यवस्था से निगम को बसों के रखरखाव पर होने वाले खर्च से राहत मिलेगी और सेवा की निरंतरता बनी रहेगी।
प्रत्येक नई इलेक्ट्रिक बस की लागत 1.71 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस राशि में बस की मूल लागत 1.25 करोड़ रुपये और वार्षिक रखरखाव लागत शामिल है। इन बसों में फास्ट चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसकी मदद से बस को पूरी तरह से चार्ज करने में महज आधे घंटे का समय लगेगा।
राज्य के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने निगम के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने नई बसों के आगमन से पहले ही सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। इसी कड़ी में राज्य के विभिन्न बस अड्डों और वर्कशॉप में 40 नए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।
इन नई बसों के आने से एचआरटीसी को बेड़े में हो रही बसों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। निगम के सभी डिपो से लगातार अधिक बसों की मांग की जा रही थी। यह इलेक्ट्रिक बसें न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि संचालन लागत को कम करने में भी सहायक साबित होंगी। इससे राज्य के यात्रियों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
