शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: 28 स्कूलों का दर्जा घटा, पांच से कम छात्र होने की वजह से लिया गया फैसला

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने 28 वरिष्ठ माध्यमिक और उच्च विद्यालयों का दर्जा घटा दिया है। शिक्षा विभाग के विशेष सचिव द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। इस कदम का मुख्य कारण इन स्कूलों में छात्रों की संख्या का पांच से कम होना बताया गया है। यह निर्णय सितंबर महीने तक हुए दाखिलों के आधार पर लिया गया है।

बारह वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों को अब उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया है। इन स्कूलों में कक्षा 11वीं और 12वीं में पांच से कम विद्यार्थी थे। सोलह उच्च विद्यालयों को मिडल स्कूल में बदला गया है। इनमें कक्षा नौवीं और दसवीं में छात्रों की संख्या पांच से कम थी।

प्रभावित जिलों और स्कूलों की सूची

जिन बारह वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा घटाया गया है, उनमें कांगड़ा जिले का भौरा स्कूल शामिल है। मंडी जिले का चंबी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल भी इस सूची में है। सिरमौर जिले का बरवास स्कूल भी प्रभावित हुआ है। शिमला जिले के कोटगढ़, जुब्बर और दम्याना स्कूलों का दर्जा भी घटा है।

बोसारी, रत्नाडी, कड़ीवान, झीना, बराच और बाघल के स्कूल भी इस फैसले से प्रभावित हुए हैं। यह सभी शिमला जिले में स्थित हैं। इन स्कूलों में अब केवल दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी।

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उच्च विद्यालयों में हुआ बदलाव

सोलह उच्च विद्यालयों को अब मिडल स्कूल का दर्जा दिया गया है। कांगड़ा जिले का घारना उच्च विद्यालय इस सूची में शामिल है। मंडी जिले का त्रेसवन स्कूल भी प्रभावित हुआ है। सिरमौर जिले का मल्होटी हाई स्कूल भी अब मिडल स्कूल बन गया है।

शिमला जिले के लिंगजार, चनोग और मुनीश स्कूलों का दर्जा घटा है। ब्राल, अलावांग, कुहाल और कंडा के स्कूल भी प्रभावित हुए हैं। जराशी, जनाहन, गैहेआ, कचैरी, नागन और गाहन स्कूल भी अब मिडल स्कूल बन गए हैं।

छात्रों और स्टाफ के लिए दिशा-निर्देश

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को निकटवर्ती स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। विद्यार्थियों को उनकी पसंद के विद्यालयों में दाखिला दिया जा सकता है। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

स्टाफ, कार्यालय रिकॉर्ड और सामग्री के स्थानांतरण के लिए अलग से निर्देश आएंगे। स्वीकृत पदों, भूमि और भवनों के बारे में भी बाद में बताया जाएगा। विभाग इस पूरी प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से पूरा करेगा।

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सरकारी निर्णय के पीछे का कारण

यह निर्णय स्कूलों में छात्रों की कम संख्या को देखते हुए लिया गया है। पांच से कम छात्रों वाले स्कूलों को संचालित रखना व्यावहारिक नहीं माना गया। संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में दक्षता लाने के लिए है। खराब छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारना भी एक लक्ष्य है। इससे शिक्षा का स्तर सुधरने की उम्मीद की जा रही है।

भविष्य की योजना और व्यवस्था

शिक्षा विभाग इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरा करेगा। छात्रों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के हस्तांतरण की उचित व्यवस्था की जाएगी।

स्कूलों की संपत्ति और रिकॉर्ड का सुरक्षित स्थानांतरण सुनिश्चित किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए पूर्व तैयारी की गई है। विभाग हर स्तर पर निगरानी रखेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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