Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत दिए गए ऋण बैंकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। राज्य में करीब 23,139 बैंक खाते एनपीए की श्रेणी में पहुंच गए हैं। इन खातों में बैंकों के 315.83 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। बैंक अब इनकी वसूली के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत युवाओं और छोटे उद्यमियों को बिना गारंटी के 20 लाख रुपये तक का ऋण मिलता है। योजना का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। अब तक 1.63 लाख लाभार्थियों को मुद्रा लोन वितरित किया गया है।
जिलेवार एनपीए खातों की स्थिति
कांगड़ा जिले में सबसे अधिक 6,432 खाते एनपीए की श्रेणी में हैं। शिमला में 3,632 और सोलन में 2,391 खाते एनपीए हैं। कुल्लू में 2,274 और मंडी में 2,048 खाते चुकौती में चूक कर रहे हैं। ऊना जिले में 1,675 खाते एनपीए हैं जबकि हमीरपुर में 1,114 खाते हैं।
सिरमौर में 1,109 और चंबा में 1,022 खाते एनपीए की श्रेणी में हैं। बिलासपुर में 938 खाते हैं जबकि किन्नौर में 445 खाते एनपीए हैं। लाहौल-स्पीति में सबसे कम 59 खाते ही एनपीए हैं। कुल मिलाकर 23,139 खाते ऋण चुकाने में असमर्थ रहे हैं।
एनपीए बढ़ने के प्रमुख कारण
बैंक अधिकारियों के अनुसार कोरोना काल में व्यवसाय ठप पड़ने से कई उधारकर्ता किस्तें नहीं चुका पाए। बाजार में मंदी और स्वरोजगार परियोजनाओं की असफलता ने समस्या को बढ़ाया। कुछ मामलों में ऋण राशि का गलत उद्देश्य के लिए उपयोग भी हुआ है। योजना का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। समिति ने सभी बैंकों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। भविष्य में ऋण वितरण में जोखिम प्रबंधन सुदृढ़ करने पर विचार होगा।
बैंकों की वसूली प्रक्रिया तेज
बैंकों ने एनपीए खातों की वसूली प्रक्रिया तेज कर दी है। जिला स्तर पर विशेष रिकवरी कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। बैंक शाखाओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे बकायेदारों से सीधे संपर्क करें। ऋण पुनर्गठन और सेटलमेंट स्कीम के तहत समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
बैंक अधिकारी उधारकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनकी समस्याएं समझ रहे हैं। जिन उधारकर्ताओं के व्यवसाय असफल हुए हैं, उन्हें नए सिरे से शुरुआत करने में मदद दी जा रही है। हालांकि जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
मुद्रा लोन योजना का क्रियान्वयन
आठ अप्रैल 2015 से शुरू हुई इस योजना में तीन श्रेणियां हैं। शिशु वर्ग में 50 हजार रुपये तक का ऋण दिया जाता है। किशोर वर्ग में पांच लाख रुपये तक का ऋण मिलता है। तरुण वर्ग में 10 लाख रुपये और तरुण प्लस में 20 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध है।
राज्य में सबसे अधिक 13,046 लाभार्थी किशोर वर्ग के हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाना था। लेकिन कई मामलों में योजना का दुरुपयोग भी हुआ है। बैंक अब भविष्य में ऋण देते समय अधिक सतर्कता बरत रहे हैं।
भविष्य की रणनीति और सुधार
बैंक अब मुद्रा लोन योजना के तहत ऋण देने से पहले बेहतर जांच कर रहे हैं। उधारकर्ताओं की व्यवसाय योजना का गहन मूल्यांकन किया जा रहा है। ऋण के उपयोग पर नजर रखने के उपाय किए जा रहे हैं। नए आवेदकों को व्यवसाय प्रबंधन की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने सुझाव दिया है कि ऋण देने से पहले बाजार अध्ययन अनिवार्य किया जाए। उधारकर्ताओं को व्यवसाय संचालन की बेसिक जानकारी दी जाए। इससे ऋण के दुरुपयोग और व्यवसाय की असफलता की संभावना कम होगी। योजना का वास्तविक लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा।
