Himachal News: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य से 10वीं और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट पर यू-डायस कोड अंकित किया जाएगा। यह कोड पहले अंकित होने वाले स्कूल स्तर के कोड की जगह लेगा। इस नई व्यवस्था से हिमाचल से अन्य राज्यों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
यू-डायस कोड की व्यवस्था राष्ट्रीय स्तर पर की गई है। हिमाचल के हर सरकारी और निजी स्कूल का अपना अलग यू-डायस कोड है। इससे विद्यार्थियों और उनके स्कूल की पूरी जानकारी कोड के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। यह व्यवस्था माइग्रेट होने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित होगी।
राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल जानकारी उपलब्ध
स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि बोर्ड अपनी तरफ से कोई नया कोड जारी नहीं कर रहा है। हर सरकारी और निजी स्कूलों को पहले से ही यू-डायस कोड जारी किया जा चुका है। अब इस व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा रहा है।
इसका सबसे बड़ा लाभ उन विद्यार्थियों को मिलेगा जो माता-पिता की नौकरी के कारण दूसरे राज्यों में स्थानांतरित होते हैं। जब कोई विद्यार्थी किसी दूसरे राज्य के स्कूल में प्रवेश लेगा तो उसके पिछले स्कूल की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। इससे प्रवेश प्रक्रिया में आसानी होगी।
शिक्षा बोर्ड का प्रस्ताव
शिक्षा बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट में स्कूल स्तर के कोड को यू-डायस कोड से बदला जाए। यह कोड यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन का हिस्सा है। इसकी शुरुआत शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए की गई है।
नई व्यवस्था से स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी। शिक्षा विभाग को स्कूलों के प्रदर्शन का आकलन करने में मदद मिलेगी। साथ ही विद्यार्थियों के अकादमिक रिकॉर्ड को बनाए रखना भी आसान होगा। यह डिजिटल शिक्षा प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
इस नई व्यवस्था से विद्यार्थियों को कई व्यावहारिक लाभ मिलेंगे। उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में आवेदन करते समय स्कूल की जानकारी सत्यापित करना आसान होगा। रोजगार के अवसरों के लिए भी शैक्षिक रिकॉर्ड सत्यापित करने में सुविधा होगी।
शिक्षा बोर्ड का यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है। इससे शिक्षा प्रणाली में एकरूपता आएगी। विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्ड आपस में बेहतर तालमेल बना सकेंगे। शिक्षा का डिजिटलीकरण और मजबूत होगा।
