Hamirpur News: प्रदेश भर के लगभग 1400 एंबुलेंस कर्मचारी 24 घंटे की हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के समर्थन में हमीरपुर जिले में कर्मचारियों ने एक बड़ी रोष रैली निकाली। कर्मचारी अपने वेतन और काम की स्थितियों में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्हें न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है और लगातार शोषण का सामना करना पड़ रहा है। यह हड़ताल 2 अक्टूबर की रात आठ बजे से शुरू हुई और 3 अक्टूबर की रात आठ बजे तक जारी रहेगी।
कर्मचारियों ने रैली के दौरान सरकार और प्रबंधन पर कर्मचारी विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से अपनी मांगों को शीघ्र स्वीकार करने की अपील की। यूनियन के नेताओं ने कहा कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत काम कर रही मेडसवान फाउंडेशन कंपनी कर्मचारियों के साथ वर्षों से शोषण कर रही है। कर्मचारियों को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
अदालती आदेशों की अनदेखी
सीटू के राष्ट्रीय सचिव कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय और श्रम अदालत के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। यूनियन नेताओं पर दबाव बनाकर उन्हें नौकरी से इस्तीफा देने या तबादला स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। कई कर्मचारियों को बिना किसी ठोस कारण के महीनों तक ड्यूटी से बाहर रखा गया है। इस तरह की कार्रवाइयों से कर्मचारियों में रोष है।
छुट्टियों और भविष्य निधि में अनियमितताएं
कर्मचारियों ने छुट्टियों, ईपीएफ और ईएसआई जैसी बुनियादी सुविधाओं के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताओं की शिकायत की है। यूनियन के जिला अध्यक्ष राजेश कुमार ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि जीवीके ईएमआरआई कंपनी से सेवाएं समाप्त होने के बाद भी कर्मचारियों को छंटनी भत्ता और ग्रेच्यूटी जैसी सुविधाएं नहीं दी गईं। इससे कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार और प्रबंधन का रवैया अड़ियल बना हुआ है। श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इन हालातों ने कर्मचारियों को संघर्ष का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्तमान 24 घंटे की हड़ताल सरकार के लिए एक चेतावनी है। कर्मचारी चाहते हैं कि उनकी समस्याओं पर तुरंत ध्यान दिया जाए और उनका न्यायसंगत समाधान निकाला जाए।
यह संघर्ष प्रदेश की जनता के लिए महत्वपूर्ण एंबुलेंस सेवा को प्रभावित कर रहा है। 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं का एक अहम हिस्सा हैं। इनके बंद रहने से मरीजों को असुविधा हो सकती है। कर्मचारी इस हड़ताल के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही उनकी मांगों को गंभीरता से सुनेगी और उचित कार्रवाई करेगी।
