शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: 103 पंचायतों में सहमति नहीं, पंचायतघर के लिए जमीन का भी नहीं हो पाया चयन

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में सहमति न बनने के कारण कई पंचायतों का काम अटका हुआ है। राज्य की 103 पंचायतों में पंचायतघर बनाने के लिए अभी तक भूमि का चयन भी नहीं हो सका है। इन पंचायतों के पास अपना कोई भवन नहीं है। इस कारण ये पंचायतें किराए के कमरों में संचालित हो रही हैं। सरकार की गेस्ट हाउस से कमाई की योजना भी इन पंचायतों के लिए अभी दूर की बात है।

प्रदेश में कुल 3577 पंचायतें हैं। इनमें से 340 पंचायतों के पास अपना भवन नहीं है। ये सभी पंचायतें किराए के स्थानों पर चल रही हैं। इनमें से 237 पंचायतों में भवन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इन पंचायतों को 35 लाख रुपये की पहली किस्त मिल चुकी है। शीघ्र ही इनके पास अपने भवन होने की उम्मीद है। तब ग्राम सभा की बैठक जैसे कार्य अपने परिसर में होंगे।

भूमि विवाद ने रोकी प्रगति

103 पंचायतोंमें पंचायत भवन के लिए भूमि का चयन ही नहीं हो पाया है। स्थानीय स्तर पर सहमति न बनने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। जब तक भवन के लिए भूमि ही अंतिम नहीं होगी, निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकता। यह स्थिति पंचायती राज व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। इससे अन्य विकास कार्यों पर भी असर पड़ रहा है। पंचायतें अपने मूल कार्यों के लिए भी संघर्ष कर रही हैं।

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पंचायत भवन न होने से आम जनता को भी परेशानी होती है। लोगों को पंचायत के काम के लिए दूर किराए के स्थान पर जाना पड़ता है। दस्तावेज जमा करना और बैठकों में भाग लेना मुश्किल हो जाता है। इससे पारदर्शिता और सुलभता पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में भी व्यवधान उत्पन्न होता है।

तीन मंजिला भवन की योजना

पंचायतोंके लिए तीन मंजिला भवन की योजना है। भूतल पर प्रधान, सचिव और अन्य पदाधिकारियों के कमरे होंगे। आम नागरिकों के बैठने की व्यवस्था भी इसी मंजिल पर रहेगी। पहली मंजिल पर ग्राम सभा हाल और रसोई का प्रावधान है। दूसरी मंजिल पर गेस्ट हाउस बनाया जाएगा। इस गेस्ट हाउस को किराए पर देकर पंचायत आय अर्जित कर सकेगी।

यह योजना पंचायतों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से है। पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में इस गेस्ट हाउस की विशेष उपयोगिता होगी। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकते हैं। लेकिन 103 पंचायतों में भूमि का मुद्दा हल न होने से यह सब संभव नहीं है। स्थानीय नेतृत्व और प्रशासन को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करनी होगी।

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पंचायतों की संख्या में बदलाव

प्रदेश मेंनए नगर निकाय बनने से पंचायतों की संख्या में भी बदलाव आया है। पहले प्रदेश में कुल 3615 पंचायतें थीं। इनमें से 42 पंचायतों का विलय कर दिया गया है। चार क्षेत्र कंटोनमेंट बोर्ड से बाहर आने पर चार नई पंचायतें बनी हैं। इस प्रकार अब प्रदेश में पंचायतों की कुल संख्या 3577 है। इन सभी पंचायतों को मजबूत बुनियादी ढांचा प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लगभग दस प्रतिशत पंचायतों के पास अपना भवन नहीं है। यह स्थिति ग्रामीण विकास की गति को प्रभावित करती है। पंचायत भवन केवल इमारत नहीं है। यह स्थानीय स्वशासन और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र है। इसकी अनुपस्थिति से पूरे प्रशासनिक तंत्र की कार्यकुशलता प्रभावित होती है। इस मुद्दे का शीघ्र समाधान आवश्यक है।

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