
शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए याचिकाकर्ता बिल्लू की याचिका को 60,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मनाली नगर परिषद द्वारा द ट्रेओटैप टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए दिए गए टेंडर को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। आवेदक ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों ने निविदा देने से पहले हिमाचल प्रदेश वित्तीय नियम, 1971 के नियम 102 और 115 का पालन नहीं किया।
दूसरा आरोप था कि ट्रियोटैप कंपनी ने टेंडर को शर्तों के अनुसार 15 अक्तूबर 2022 तक गाडियां नहीं खरीदी। हाईकोर्ट ने दोनो आरोपों को निराधार पाते हुए कहा कि नगर परिषद मनाली (City Council Manali) ने दो हिंदी समाचार पत्रों को टेंडर नोटिस छापने को भेजा था और एक ने इसे प्रकाशित भी किया था। दूसरे समाचार पत्र ने इसे प्रकाशित करना उचित नहीं समझा तो इसमें नगर परिषद मनाली को कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने गाड़ियों की खरीद न करने के आरोप को भी निराधार पाते हुए कहा कि कंपनी ने 85 लाख रुपए की 8 गाडियां भी खरीदी और 1 नवम्बर तक इनमे जरूरी बदलाव भी किए। कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया और बिना वजह प्रतिवादियों को कोर्ट में खड़ा किया। इसलिए कोर्ट ने याचिका को 60 हजार रुपए की कॉस्ट के साथ खारिज करते हुए प्रार्थी को आदेश दिए कि इस कॉस्ट में से 20 हजार रुपए नगर परिषद मनाली, 20 हजार रुपए प्रतिवादी कंपनी और 20 हजार रुपए अधिवक्ता कल्याण निधि को 4 सप्ताह के भीतर अदा करे।