Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने कुछ कंपनियों को कस्टमाइज पैकेज के नाम पर अत्यंत सस्ती दरों पर जमीन और मुफ्त सुविधाएं प्रदान कीं। मुख्यमंत्री ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार राज्य की संपदा का अनियमित आवंटन किया गया।
कंपनियों को मिली रियायती दरों पर जमीन
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि किण्वन फार्मा लिमिटेड को वर्ष 2021 में नालागढ़ में 300 बीघा जमीन मात्र एक रुपये प्रति वर्गमीटर की दर पर दी गई। इसी प्रकार मैसर्ज एसएमपीपी एमुनीशन प्राइवेट लिमिटेड को 800 एकड़ भूमि आवंटित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि 800 एकड़ भूमि एक ही कंपनी को देने में भ्रष्टाचार की गंध आ रही है।
सरकार को नहीं मिला राजस्व
इन कंपनियों को कस्टमाइज पैकेज के तहत स्टांप ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट दी गई। इससे सरकार को रजिस्ट्री से कोई राजस्व प्राप्त नहीं हुआ। पांच वर्ष के लिए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी 100 प्रतिशत छूट दी गई। पैकेज में तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली, मुफ्त पानी और मुफ्त वेयरहाउस का प्रावधान किया गया था।
औद्योगिक इकाइयों की स्थिति
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि इस अवधि में 115 औद्योगिक इकाइयां बंद हुई हैं। बंद इकाइयों के कारण 3350 लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। 115 औद्योगिक इकाइयों में से 55 के लीज होल्ड राइट स्थानांतरित किए हैं। इनमें 512.44 करोड़ का निवेश और 3918 लोगों को रोजगार देने का प्रस्ताव है।
नई औद्योगिक नीति की तैयारी
उद्योग मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार औद्योगिक नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। उद्योगों के लिए बिजली की दरें 40 पैसे प्रति यूनिट कम की जाएंगी। इससे 24 घंटे सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। विधायक भी नई नीति के लिए सुझाव दे सकते हैं।
निवेश और रोजगार के आंकड़े
एक अगस्त 2022 से 31 जुलाई 2025 तक प्रदेश में 2853.94 करोड़ का निवेश हुआ है। औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश और विदेश में कई इनवेस्टमेंट इवेंट्स आयोजित किए गए हैं। 24 औद्योगिक इकाइयों द्वारा 6210 करोड़ के एमओयू साइन किए गए हैं। इससे 7348 लोगों को रोजगार देने का प्रस्ताव है।
विधानसभा में हुआ हंगामा
इस मुद्दे पर सदन में भारी हंगामा हुआ। प्रश्नकाल के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। विपक्षी भाजपा के सदस्य सदन से बाहर चले गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने नियमों की अनदेखी करते हुए उद्योगों को जमीन आवंटित की। सरकार इस मामले की पूरी जांच कर रही है।
