Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) पाने के लिए फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (विजिलेंस) ने एक ऐसे आयुर्वेदिक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) बताकर नौकरी हथिया ली थी। सरकाघाट के रहने वाले डॉ. विवेक शर्मा ने फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए आयुर्वेद विभाग में यह पद हासिल किया था। कोर्ट ने शुक्रवार को आरोपी डॉक्टर को दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
विजिलेंस के रडार पर अन्य डॉक्टर
विजिलेंस की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है। जांच एजेंसी की नजर अब मंडी जिले के तीन अन्य आयुर्वेदिक डॉक्टरों पर भी है। इन पर भी जल्द ही गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है। जांच में खुलासा हुआ है कि केवल विवेक शर्मा ही नहीं, बल्कि कुल 14 डॉक्टरों ने फर्जी EWS प्रमाणपत्रों का सहारा लिया था। इन सभी ने साल 2022 में बैचवाइज भर्ती प्रक्रिया के तहत सरकारी नौकरी ज्वाइन की थी।
अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच
फर्जी प्रमाणपत्र बनाना अकेले का काम नहीं हो सकता। इसलिए विजिलेंस ने राजस्व विभाग के उन अधिकारियों और कर्मचारियों की भी जांच तेज कर दी है, जिन्होंने ये सर्टिफिकेट जारी किए थे। इस फर्जीवाड़े में शामिल राजस्व कर्मियों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। जांच एजेंसी यह पता लगा रही है कि नियमों को ताक पर रखकर सर्टिफिकेट कैसे जारी हुए।
एक शिकायत ने खोली पोल
इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश कांगड़ा जिले के बैजनाथ की रहने वाली श्वेता शर्मा की एक शिकायत से हुआ। उन्होंने विजिलेंस को बताया था कि कई लोग पहले से ही दूसरी सेवाओं में कार्यरत थे। इसके बावजूद उन्होंने खुद को गरीब बताकर सरकारी नौकरी का लाभ उठाया। विजिलेंस ने 28 और 30 अप्रैल को मिली शिकायत के बाद 115 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती फाइलों को खंगाला। इसमें कई बड़ी अनियमितताएं मिली हैं।
कई जिलों में केस दर्ज
विजिलेंस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मंडी, धर्मशाला, हमीरपुर और बिलासपुर में अलग-अलग केस दर्ज किए हैं। मंडी जिले में डॉ. विवेक शर्मा के अलावा डॉ. विनोद कुमार, डॉ. पुष्पराज और डॉ. भारतेंदु कुमार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। विजिलेंस अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
