बुधवार, दिसम्बर 31, 2025

Himachal News: एक वायरल वीडियो, 7 के खिलाफ FIR! क्या निजी बात रिकॉर्ड करना अपराध है? जानिए क्या कहता है संविधान और कानून

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सराज क्षेत्र में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने से हड़कंप मच गया है। यहां मशहूर शहनाई वादक सूरजमणि की एक निजी बातचीत लीक हो गई है। इसमें उन्होंने संविधान को सर्वोच्च बताया था। इसके बाद देव समाज के कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया है। यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर यह विवाद अभिव्यक्ति की आजादी और निजता के अधिकार पर बहस का विषय बन गया है।

निजी बातचीत हुई लीक

सूरजमणि ने एक निजी चर्चा में कहा था कि भारत का संविधान ही सबसे बड़ा ग्रंथ है। यह देश को न्याय और बराबरी का रास्ता दिखाता है। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि आज आस्था पैसों का खेल बन गई है। वे खुद भी पैसे लेकर शहनाई बजाते हैं। यह बात पूरी तरह गोपनीय थी। लेकिन किसी ने इसे चुपके से रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद सूरजमणि को धमकियां मिलने लगीं।

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कानून और संविधान क्या कहता है?

सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के अनुसार निजता एक मौलिक अधिकार है। बिना मर्जी के किसी की बातें रिकॉर्ड करना और सोशल मीडिया पर फैलाना अपराध है। आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत ऐसा करने वाले को सजा हो सकती है। अगर वीडियो का मकसद किसी को बदनाम करना है, तो यह मानहानि का मामला बनता है। अनुच्छेद 19 (1) (ए) हर नागरिक को अपनी राय रखने का हक देता है।

जातिगत भेदभाव का आरोप

इस विवाद में जातिगत पहलू भी सामने आ रहा है। दबी जुबान में चर्चा है कि दलित होने के कारण सूरजमणि को निशाना बनाया गया। कई बार ऊंची जाति के लोग भी ऐसी बातें कहते हैं, पर तब बवाल नहीं होता। जानबूझकर किसी को अपमानित करना एससी/एसटी एक्ट का उल्लंघन हो सकता है। यह एक्ट जातीय आधार पर अपमान करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान करता है।

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कईयों पर FIR दर्ज

इस मामले ने जब तुल पकड़ा तो पीड़ित सूरजमणि ने कई लोगों के खिलाफ FIR की मांग की। पुलिस ने तत्काल कार्यवाही की और कई लोगों को आरोपी बनाया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है तथा लगभग 27 लोगों के खिलाफ जांच होने की संभावना है।

समाज को जोड़ने की जरूरत

जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र में अलग विचारों का सम्मान होना बहुत जरूरी है। देवता न्यायप्रिय होते हैं, वे भेदभाव नहीं करते। समाज को तोड़ने के बजाय जोड़ने की जरूरत है। असली दोषी वह है जिसने निजी बात को गलत तरीके से सोशल मीडिया पर वायरल किया। संविधान ही हम सबको जोड़ता है और न्याय दिलाता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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