Himachal News: साल 2025 हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए सिर्फ और सिर्फ इंतजार का साल साबित हुआ। प्रदेश के 1.91 लाख कर्मचारियों और 1.71 लाख पेंशनरों की उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। पूरे साल वेतन और भत्तों को लेकर संघर्ष चलता रहा, लेकिन सरकार ने खजाना नहीं खोला। Himachal News के अनुसार, छठे वेतन आयोग का 9 हजार करोड़ रुपये का एरियर अब भी फंसा हुआ है। सरकार से पूरे साल सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन कर्मचारियों के हाथ खाली रहे।
वेतन के लाले और एरियर पर सन्नाटा
कर्मचारी संगठनों के लिए यह साल काफी निराशाजनक रहा। एरियर की मांग को लेकर साल भर चर्चा होती रही। यूनियंस ने मंत्रियों और मुख्य सचिव को कई ज्ञापन दिए। बैठकें भी हुईं, लेकिन एरियर भुगतान पर कोई ठोस घोषणा नहीं हुई। हालत यह हो गई कि अब कर्मचारी एरियर भूलकर नियमित वेतन मिलने को ही गनीमत मानने लगे हैं। महंगाई भत्ते में थोड़ी बढ़ोतरी से संतोष करना पड़ा, लेकिन बड़ा आर्थिक लाभ नहीं मिला।
पहली बार 5 तारीख को मिली सैलरी
साल 2025 की शुरुआत ने ही कर्मचारियों को डरा दिया था। इतिहास में पहली बार कर्मचारियों को वेतन महीने की 5 तारीख को मिला। इससे उनका घरेलू बजट पूरी तरह बिगड़ गया। हालांकि, बाद में सरकार ने वेतन और पेंशन को नियमित रखने की कोशिश की। लेकिन वित्तीय संकट का डर पूरे साल कर्मचारियों के मन में बना रहा।
पेंशनरों और निगम कर्मियों का बुरा हाल
सरकारी विभागों से ज्यादा बुरा हाल निगमों का रहा। हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) और पर्यटन निगम के कर्मचारियों को वेतन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। उन्हें महीने के दूसरे पखवाड़े में सैलरी मिल रही है। पेंशनरों की स्थिति भी दयनीय है। केवल 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों को समय पर पेंशन मिल रही है। बाकी पेंशनरों को महीने के अंत तक इंतजार करना पड़ रहा है।
कर्मचारी महासंघ को नहीं मिली मान्यता
इस साल कर्मचारी राजनीति भी सुस्त रही। सरकार ने कर्मचारी महासंघ को मान्यता नहीं दी। इससे सरकार के साथ मोलभाव करने की कर्मचारियों की ताकत कमजोर पड़ गई। नेता संवाद करते रहे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब सबकी नजरें नए साल और आने वाले बजट पर हैं। कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि 2026 में सरकार उनकी सुध लेगी।
