Shimla News: आपदा की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा. मॉनसून सत्र 25 सितंबर तक चलेगा. सत्र में कुल सात बैठकें होंगी. इस बार सत्र शनिवार को भी लगेगा.
अभी तक विधायकों ने विधानसभा सचिवालय को 523 तारांकित प्रश्न, 160 अतरंकित प्रश्न और 13 नोटिस भेज दिए गए हैं. मौजूदा सुक्खू सरकार का यह पहला मॉनसून सत्र होगा. विधानसभा सचिवालय ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बार सत्र के पूरी तरह हंगामेदार रहने के आसार हैं.
दरअसल, भाजपा आरोप लगा रही थी कि सत्र जल्द बुलाकर बारिश से हुए नुकसान पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए. जब सत्र बुलाया नहीं जा रहा था तो भाजपा ने यह आरोप भी लगाने शुरू कर दिए थे कि सुक्खू सरकार सत्र बुलाने से टल रही है. सरकार नहीं चाहती कि बारिश और बदल फटने से हुए नुकसान की जानकारी सही रूप से लोगों के सामने आए. हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता तो विशेष सत्र बुलाने की मांग करने लगे थे.
विधानसभा सत्र इसलिए भी हंगामेदार होगा कि सत्तापक्ष और विपक्ष के तरकश में काफ़ी तीखे तीर दिखने लगे हैं. विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर का कहना है कि मानसूनी आपदा में लोगों को राहत देने में सरकार विफल रही है. कांग्रेस सरकार के मंत्री शिमला से बाहर निकलने में गुरेज कर रहे हैं, जिन ग्रामीण सड़कों और राज मार्गों को खोला जा सकता था, उन्हें खोलने भी प्रदेश का लोक निर्माण विभाग विफल रहा है. जिस कारण सेब बगीचों से बाहर नहीं आ पाया है. अभी लोग प्रदेश में जहां कहां फंसे पड़े हैं.
सरकार का कहना है कि राहत और खाद्य सामग्री फंसे हुए लोगों हर जरिए से पहुंचाई जा रही है. चाहे उसे पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ही क्यों न लेनी पड़ी हो.
दूसरी तरफ, कांग्रेस का मत है कि राहत पर केंद्र ने जितनी घोषणाएं की, उतनी मिली नहीं है. भाजपा बेवजह श्रय लेने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री दिल खोलकर हिमाचल की आर्थिक मदद कर रहे हैं पर भाजपा के मुख्यमंत्री हिमाचल को मदद के लिए आगे नहीं आ रहे है. इसी वजह से कहा जा रहा कई कि हिमाचल विधानसभा सत्र में दोनों तरफ गर्मी का माहौल बना रहेगा.