Himachal News: सोलन में भारत की जनवादी नौजवान सभा और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने हिमाचल सरकार की जॉब ट्रेनी नीति के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन किया। संगठनों का कहना है कि यह नीति युवाओं को दो साल तक प्रशिक्षु के रूप में रखती है। इस दौरान उन्हें स्थायी नौकरी, वेतनमान, छुट्टियां या अन्य लाभ नहीं मिलेंगे। संगठनों ने नीति को युवाओं के भविष्य पर हमला बताया।
नीति पर सवाल और आलोचना
प्रदर्शनकारियों ने जॉब ट्रेनी नीति को सरकार के स्थायी रोजगार के वादों के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि यह नीति सरकारी विभागों में चयनित युवाओं को दो साल तक प्रशिक्षु बनाए रखेगी। इस अवधि में न सेवा सुरक्षा मिलेगी, न ही पेंशन या अन्य सुविधाएं। जॉब ट्रेनी नीति को पूंजीवादी साजिश करार देते हुए संगठनों ने इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।
युवाओं की मांगें
संगठनों ने जॉब ट्रेनी नीति को स्थायी रोजगार की अवधारणा के खिलाफ बताया। उन्होंने हिमाचल के युवाओं के लिए सम्मानजनक और सुरक्षित रोजगार की मांग की। ठेकेदारी और अस्थायी व्यवस्थाओं को खत्म करने की अपील की गई। संगठनों ने नियमित भर्तियों को प्राथमिकता देने की बात कही। प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने चेतावनी दी कि नीति वापस नहीं हुई तो आंदोलन तेज होगा।
प्रदर्शन की चेतावनी
सोलन में हुए प्रदर्शन में संगठनों ने जॉब ट्रेनी नीति के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि यह नीति युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। यदि सरकार ने नीति को तुरंत वापस नहीं लिया, तो राज्यभर में जनआंदोलन शुरू होगा। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से युवाओं के हित में नीति बदलने की मांग की। संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी।
सरकार के वादों पर सवाल
जॉब ट्रेनी नीति को लेकर संगठनों ने सरकार के वादों पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि सत्ता में आने से पहले सरकार ने स्थायी रोजगार का वादा किया था। लेकिन नई नीति इसके विपरीत है। युवाओं को दो साल तक प्रशिक्षु रखना अन्यायपूर्ण है। संगठनों ने नीति को हटाकर नियमित भर्तियों की मांग की। प्रदर्शन में युवाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
