Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को ठेकेदार की बकाया राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की पीठ ने विभाग को तीन सप्ताह के भीतर 31.10 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा है। अदालत ने चेतावनी दी कि भुगतान न होने पर मुख्य अभियंता को अगली सुनवाई में उपस्थित रहना होगा।
अदालत ने ठेकेदार को बिलों का भुगतान न करने को चिंताजनक बताया। पीठ ने कहा कि विभाग ने याचिकाकर्ता अरुण आजाद द्वारा पूर्ण किए गए कार्य का भुगतान किए बिना ही उसी काम को दूसरे ठेकेदार को सौंप दिया था। इस तथ्य को विभाग ने भी स्वीकार किया है। अदालत ने इस कार्रवाई को गलत ठहराया।
हाईकोर्ट ने विभाग के शपथ पत्र का अवलोकन किया। इसमें बताया गया कि मुख्य अभियंता, मंडी क्षेत्र ने 31.10 लाख रुपये की राशि की मांग की है। हलफनामे के अनुसार सात जुलाई को एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया था। इस समिति का काम बकाया बिल की जांच करना था।
अदालत ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन समझ से परे है। यह कार्रवाई घोड़े के भाग जाने के बाद अस्तबल का दरवाजा बंद करने के समान है। पीठ ने कहा कि समिति का गठन संबंधित अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेशों को लंबित रखने के लिए किया गया प्रतीत होता है।
अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश पारित किया। विभाग को अगली सुनवाई की तारीख पर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से राशि का भुगतान करने को कहा गया। मामला अनुपालना के लिए सूचीबद्ध किया गया था। विभाग ने पहले तत्कालीन कार्यकारी अभियंता के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने जांच संबंधी आदेश जारी करने के बजाय भुगतान के आदेश दिए। साथ ही जांच को अंजाम तक पहुंचाने को कहा। अदालत ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। न्यायालय ने कहा कि ठेकेदारों के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है।
