Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने डॉक्टर बनने का सपना देख रहे कई छात्रों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने एमबीबीएस (MBBS) सीटों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि जिन हिमाचली छात्रों ने राज्य के बाहर पढ़ाई की है, उन्हें Himachal Pradesh के स्टेट कोटा का लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने साफ किया कि अगर माता-पिता की प्राइवेट नौकरी के कारण बच्चों ने बाहर पढ़ाई की है, तो उन्हें कोटे से बाहर रखना गलत नहीं है। यह नियम पूरी तरह से कानून के दायरे में है।
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिकाएं
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने छात्रों की याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि Himachal Pradesh कोटे की सीटों से ऐसे छात्रों को बाहर रखना भेदभाव नहीं है। यह मनमानी या असंवैधानिक भी नहीं है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का भी हवाला दिया। इसमें कहा गया कि राज्य कोटा की सीटों के लिए कुछ शर्तें तय करना सरकार का अधिकार है।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, कई छात्रों ने नीट (NEET-UG) परीक्षा पास कर ली थी। वे Himachal Pradesh कोटे के तहत एमबीबीएस में एडमिशन लेना चाहते थे। लेकिन उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया। इसकी वजह 2025-26 सत्र के लिए तय किए गए नए नियम थे। इन नियमों के मुताबिक, स्टेट कोटा के लिए उम्मीदवार का राज्य के भीतर स्थित स्कूलों से कम से कम दो परीक्षाएं पास करना जरूरी है।
पहले मिलती थी छूट, अब नियम सख्त
याचिकाकर्ता वे छात्र थे जिनके माता-पिता Himachal Pradesh से बाहर प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं। इसी वजह से उनकी पढ़ाई भी बाहर हुई। पुराने प्रॉस्पेक्टस में ऐसे असली हिमाचली छात्रों को छूट मिलती थी। वे कहीं से भी पढ़े हों, कोटे के हकदार होते थे। लेकिन मौजूदा प्रॉस्पेक्टस में यह छूट हटा दी गई है। अब कोर्ट ने भी इस बदलाव पर अपनी मुहर लगा दी है। इससे कई छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
