Himachal News: हिमाचल प्रदेश में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक बड़ा फैसला आया है। हिमाचल हाई कोर्ट ने एक शादीशुदा जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। अदालत ने माना है कि हर व्यक्ति को संविधान के तहत जीवन की रक्षा का अधिकार है। पुलिस को अब इस जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में जान का खतरा होने पर सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है।
पुलिस को तत्काल कार्रवाई के निर्देश
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने एसपी कांगड़ा और संबंधित एसएचओ को कड़े निर्देश जारी किए हैं। हिमाचल हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर तुरंत विचार करें। यदि जोड़े को किसी भी तरह के खतरे की आशंका है, तो पुलिस को सुरक्षा का निर्णय अलग से लेना होगा। यह आदेश सुमंगला देवी और अन्य की याचिका पर दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं की जान को था खतरा
याचिकाकर्ता महिला पहले से तलाकशुदा है। उसका लिव-इन पार्टनर अपनी पहली पत्नी से कानूनी तौर पर अलग रह रहा है। दोनों ने हिमाचल हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उनके परिजन उन्हें जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने अपनी जान के खतरे का हवाला देते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।
अन्य अदालतों के फैसलों का हवाला
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने महत्वपूर्ण तर्क रखे। उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय सहित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पुराने फैसलों का उदाहरण दिया। इन फैसलों में यह माना गया था कि यदि एक साथी पहले से विवाहित है, तब भी साथ रहने वाले लोगों को सुरक्षा मिलनी चाहिए। हिमाचल हाई कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार किया। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को सर्वोपरि माना है।
