Himachal News: हिमाचल प्रदेश से एक बहुत बड़ा समाचार सामने आया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य की तकदीर बदलने के लिए ‘ग्रीन टू गोल्ड’ पहल शुरू की है। सरकार ने औद्योगिक भांग की खेती को वैध करने का फैसला लिया है। अब राज्य में नियंत्रित तरीके से भांग उगाई जाएगी। सरकार का लक्ष्य 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाना है। यह फैसला प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
नशा नहीं, अब दवा और कपड़ा बनेगा
लोगों ने अब तक भांग को केवल नशे से जोड़कर देखा था। लेकिन सरकार ने अब इसे एक कीमती संसाधन माना है। इस समाचार ने उद्योगों में नई उम्मीद जगाई है। भांग का इस्तेमाल अब पर्यावरण के अनुकूल कपड़े बनाने में होगा। इसके अलावा कागज, पैकेजिंग और बायो-फ्यूल भी तैयार किए जाएंगे। इसका उपयोग दवाओं और बायो-प्लास्टिक बनाने में भी होगा। हिमाचल अब औद्योगिक विकास का नया केंद्र बनेगा।
खेती के लिए सरकार ने बनाई सख्त लक्ष्मण रेखा
सरकार ने खेती के लिए कड़े वैज्ञानिक नियम तय किए हैं। उगाए जाने वाले पौधों में नशे का तत्व (THC) 0.3 प्रतिशत से कम होगा। इससे पौधे का नशीले पदार्थ के रूप में दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। पौधे से केवल अच्छी गुणवत्ता वाला फाइबर और बीज मिलेगा। 24 जनवरी 2025 को कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। यह समाचार नशा माफिया के लिए बुरी खबर है, क्योंकि अब सरकार इस बाजार पर नियंत्रण करेगी।
खजाने में आएंगे 2000 करोड़ रुपये
सरकार का अनुमान है कि इस फैसले से राज्य की कमाई बढे़गी। विनियमित खेती से हर साल खजाने में 500 से 2000 करोड़ रुपये आएंगे। अभी तक इस बाजार पर अवैध व्यापार का कब्जा था। अब यह पैसा सीधे सरकार और किसानों के पास आएगा। सरकार एक ठोस कानून बनाकर इस व्यवस्था को लागू करेगी। सीएम सुक्खू ने आर्थिक तरक्की और सामाजिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाया है।
किसानों की होगी बंपर कमाई
यह समाचार किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। भांग की खेती में कपास के मुकाबले 50 प्रतिशत कम पानी लगता है। इसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। बदलते मौसम में यह किसानों के लिए सुरक्षित फसल बनेगी। पालमपुर और नौणी यूनिवर्सिटी को अच्छे बीज बनाने का काम सौंपा गया है। एक कमेटी ने दूसरे राज्यों के मॉडल का अध्ययन करके ही यह रिपोर्ट तैयार की है।
