Himachal Pradesh News: हिमाचल सरकार ने बिजली शुल्क में 11 से 19 फीसदी तक बढ़ोतरी कर उद्योगों को झटका दे दिया है। अब देश भर में सबसे मंहगी बिजली हिमाचल की औद्योगिक इकाइयों को दी जा रही है।
सभी औद्योगिक संघों ने भारी भरकम बिजली शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जाहिर की है। उद्योगपतियों का कहना है कि नए उद्योग को दी गई रियायतें भी वापिस ले ली हैं, जिससे उद्योगों को चलाना मुश्किल हो चुका है।
हिमाचल में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए जो वादे राज्य सरकार ने किए थे, वह भी खोखले साबित हुए। हिमाचल में निवेश बढ़ाने के लिए जो वादे सरकार ने किए थे वह सिर्फ एक साल देकर वापिस ले लिए है और आज सबसे मंहगी बिजली हिमाचल में दी जा रही है।
हिमाचल में सरप्लस बिजली का उत्पादन होता है। हिमाचल स्टील एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघ राज गर्ग हिमाचल में उद्योगों का उबरना मुश्किल हो चुका है। पहले सिर्फ उद्योग सस्ती बिजली के चलते हिमाचल में निवेश कर रहे थे, लेकिन अब वह भी बढ़ चुकी है। इसके अलावा अतिरिक्त गुड्स टैक्स (एजीटी) की दर में भी बढ़ोतरी हुई है।
रियायतें बहाल की जाएं
उद्योगपति जय ज्वाला उधोग के एमडी रमेश अग्रवाल का कहना है कि बिजली शुल्क में बढ़ोतरी से इंडस्ट्री को नुकसान होगा क्योंकि बिजली के शुल्क में भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि बिजली शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला वापिस लिया जाना चाहिए और रियायतों को बहाल किया जाए।
कुडंलस लोह उद्योग के मालिक राजीव सिंगला का कहना है कि ऐसे माहौल में इंडस्ट्री का सरवाइव करना मुश्किल है और आज बंद करने की नौबत आ चुकी है क्योंकि स्टील उद्योग सिर्फ बिजली पर निर्भर है। यहां की लोहा इंडस्ट्री सबसे ज्यादा टैक्स देती है। बिजली सस्ती के कारण हिमाचल में निवेश किया था। फ्रेंड्स अलॉयज के और लघु उधोग भारती के प्रदेश महासचिव संजीव शर्मा का कहना है कि बिजली शुल्क में भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है जिससे इंडस्ट्री को चला पाना मुश्किल है।