शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल सरकार: जन संकल्प सम्मेलन पर चार करोड़ के बस बिल ने बढ़ाई चिंता

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Himachal News: मंडी के पड्डल मैदान में आयोजित जन संकल्प सम्मेलन का बड़ा बिल सामने आया है। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने इस आयोजन के लिए किराए पर दी गई 1070 बसों का लगभग चार करोड़ रुपये का विस्तृत बिल तैयार कर लिया है। यह बिल अब सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा।

इस बिल में बसों के किराए, डीजल, स्टाफ ड्यूटी और अन्य प्रशासनिक खर्चों को शामिल किया गया है। निगम ने प्रदेश भर से लाभार्थियों और कार्यकर्ताओं को लाने-ले जाने के लिए यह सेवा प्रदान की थी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस बिल के भुगतान पर कितनी जल्दी मंजूरी देती है।

भुगतान प्रक्रिया को लेकर निगम में उम्मीद बनी हुई है। पिछली सरकार के समय से लंबित एचआरटीसी के बकाये को वर्तमान सरकार ने चुकाया था। इसलिए इस नए बिल के जल्द निपटान की संभावना जताई जा रही है। यह भुगतान निगम की वित्तीय स्थिति के लिए अहम माना जा रहा है।

परिवहन निगम की बदहाल आर्थिक स्थिति

हिमाचल पथ परिवहन निगम पहलेसे ही गंभीर वित्तीय दबाव का सामना कर रहा है। विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार निगम को प्रतिमाह लगभग सत्तर करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। इस तरह वार्षिक घाटा आठ सौ चालीस करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाता है।

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निगम का संचयी घाटा अब दो हज़ार दो सौ करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुका है। ऐसे में चार करोड़ रुपये का यह भुगतान भी उसके लिए महत्वपूर्ण है। समय पर भुगतान होने से कर्मचारियों के वेतन और निगम के दैनिक संचालन में मदद मिल सकेगी।

यह सम्मेलन राज्य सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इसमें सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को बड़ी संख्या में आमंत्रित किया गया था। परिवहन की इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए निगम ने अपनी नियमित सेवाओं के अलावा अतिरिक्त बसें चलाई थीं।

भुगतान प्रक्रिया पर निर्भर करेगी गति

बिल तैयार होनेके बाद अब सरकारी विभाग की मंजूरी की प्रक्रिया शुरू होगी। सामान्य प्रशासन विभाग इस बिल का भुगतान करेगा। निगम प्रबंधन को उम्मीद है कि पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए इस बार भी भुगतान में ज्यादा देरी नहीं होगी।

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निगम की वित्तीय सेहत को ध्यान में रखते हुए यह भुगतान जल्द होना चाहिए। बड़े घाटे के बोझ तले दबे निगम के लिए यह राशि संचालन चलाने में सहायक हो सकती है। सरकारी आयोजनों के लिए परिवहन सेवाएं देना निगम का एक नियमित कार्य है।

इस पूरे मामले ने सरकारी आयोजनों की लागत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों पर खर्च का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहता है। इस बार भी चार करोड़ के बस बिल ने इस चर्चा को नया आयाम दिया है।

निगम का मानना है कि सरकारी विभागों को अपने बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए। इससे सार्वजनिक उपक्रमों की वित्तीय स्थिरता बनी रहती है। साथ ही सेवाओं का निर्बाध संचालन भी जारी रह पाता है।

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