Himachal News: परख सर्वे 2025 की ताजा रिपोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के 70% बच्चे गणित में कमजोर हैं। यह आंकड़ा शिक्षा विभाग की नाकामी को उजागर करता है। भारी-भरकम बजट और डिजिटल योजनाओं के दावों के बावजूद सरकारी स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है। बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।
बच्चों की गणित में कमजोर नींव
रिपोर्ट बताती है कि 58% से ज्यादा छात्र बीजगणित, गुणा-भाग और आंकड़ों की समझ में असफल हैं। छठी से नौवीं कक्षा तक सिर्फ 42% बच्चे ही गणित की बुनियादी स्किल्स में पास हुए। छोटे बच्चे तो पैसे गिनने जैसे रोजमर्रा के कामों में भी फेल हो रहे हैं। यह हाल तब है जब सरकार शिक्षा पर करोड़ों खर्च कर रही है। क्या ये नतीजे माता-पिता के सपनों को चूर करने वाले नहीं हैं?
जिलों में असमान प्रदर्शन
सर्वे में जिलों के प्रदर्शन में भारी अंतर दिखा। हमीरपुर, लाहौल-स्पीति और सिरमौर ने तीसरी कक्षा में थोड़ा बेहतर किया। वहीं, कांगड़ा और सोलन जैसे बड़े जिले फिसड्डी साबित हुए। छठी और नौवीं कक्षा में भी कोई खास सुधार नहीं दिखा। यह असमानता बताती है कि शिक्षा संसाधन सही तरीके से बंट नहीं रहे। क्या कुछ जिलों के बच्चे ही बेहतर शिक्षा के हकदार हैं?
शिक्षा विभाग के खोखले वादे
परख जिला समन्वयक बबीता ठाकुर ने माना कि गणित में प्रदर्शन बेहद खराब है। उन्होंने कोचिंग देने की बात कही। लेकिन क्या कोचिंग से सालों की कमियां दूर हो पाएंगी? विशेषज्ञों का कहना है कि बिना नीतिगत सुधार के यह सब दिखावा है। शिक्षकों की कमी और उनके प्रशिक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। दैनिक जागरण की रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है।
भविष्य पर सवालिया निशान
हिमाचल शिक्षा की यह स्थिति बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल रही है। जब बच्चे बुनियादी गणित तक नहीं सीख पा रहे, तो आगे की पढ़ाई का क्या होगा? हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, शिक्षकों की भर्ती और ट्रेनिंग में देरी इसका बड़ा कारण है। सरकार के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। क्या ये बच्चे सिर्फ आंकड़ों में तब्दील होकर रह जाएंगे?
