Himachal News: हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई 109 करोड़ रुपये की घोषणा आज तक पूरी नहीं हुई। पेंशनरों ने 21 नवंबर को शिमला में बड़े प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
कुल्लू के ढालपुर स्थित देव सदन में पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संगठन की बैठक हुई। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष देवराज ठाकुर ने बताया कि 8500 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के 1200 करोड़ रुपये के भत्ते लंबित हैं। सरकार से बार-बार बातचीत के बाद भी निराशा हाथ लगी है।
मेडिकल बिल और डीए भी लंबित
देवराज ठाकुर ने बताया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नौ करोड़ रुपये के मेडिकल बिल भी लंबित पड़े हैं। डीए की किस्तें भी नहीं मिल रही हैं। समय पर पेंशन नहीं मिलने से कर्मचारियों को गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि कुछ पेंशनरों ने आत्महत्या तक की बात कही है।
संगठन ने निर्णय लिया है कि 21 नवंबर को शिमला में बड़ा प्रदर्शन होगा। पेंशनर अपने परिवारों के साथ इस प्रदर्शन में शामिल होंगे। विधानसभा से लेकर पंचायत स्तर तक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। सरकार के खिलाफ जनता को जागरूक किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की घोषणा पर सवाल
पिछले साल अक्टूबर में एचआरटीसी के गोल्डन जुबली समारोह में मुख्यमंत्री ने 109 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। लेकिन इस घोषणा का क्या हुआ, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है। कर्मचारी जब उपमुख्यमंत्री से इस बारे में पूछते हैं तो वह कहते हैं कि यह घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी।
इससे लगता है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच तालमेल ठीक नहीं है। इस तालमेल की कमी का खामियाजा एचआरटीसी के हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान कर्मचारी भी सरकारी प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।
सड़कों पर उतरने की तैयारी
एचआरटीसी पेंशनर्स कल्याण संगठन ने कुल्लू में नई रणनीति तैयार की है। यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो सभी सेवानिवृत्त कर्मचारी सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कार्यकाल के दौरान लंबित पड़े भत्ते अभी तक नहीं मिले हैं।
यह स्थिति दशकों से चली आ रही सरकारी वादाखिलाफी का परिणाम है। पेंशन भुगतान में लगातार देरी हो रही है। इससे न केवल पेंशनरों की वित्तीय सुरक्षा प्रभावित हो रही है बल्कि उनका सामाजिक जीवन भी दुष्प्रभावित हो रहा है। सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है।
