Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन बुधवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे टकराव का गवाह बना। विपक्ष ने पहले प्रश्नकाल शुरू करने पर जोर दिया, जबकि सरकार ने पंचायत चुनाव में देरी के मुद्दे पर नियम 67 के तहत चर्चा जारी रखने की मांग की। लगभग 35 मिनट तक चली लंबी बहस के बाद अंततः पंचायत चुनाव पर ही चर्चा शुरू हुई, जिसके दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के विवादास्पद बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया और सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा .
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में स्पष्ट किया कि सत्ता पक्ष नियम 67 के तहत चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने विपक्ष पर चर्चा से पीछे हटने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि विपक्ष वास्तव में चर्चा नहीं चाहता है तो उसे अपना स्थगन प्रस्ताव वापस ले लेना चाहिए। इस पूरे विवाद के केंद्र में भाजपा द्वारा पेश किया गया काम रोको प्रस्ताव था, जिसे स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने स्वीकार कर लिया था .
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपनी स्थिति में कोई ढील नहीं दी और जोर देकर कहा कि विपक्ष चर्चा से पीछे नहीं हटना चाहता, लेकिन पहले प्रश्नकाल का होना भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सरकार पर विधायकों के सवालों के जवाब देने से कतराने का आरोप लगाया। इस बहस ने सदन की नियमित कार्यप्रणाली को अवरुद्ध कर दिया, जिससे सत्र के दूसरे दिन भी सदन का कामकाज प्रभावित हुआ .
लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सदन में नियम 67 के तहत पंचायत चुनावों पर चर्चा शुरू हुई। भाजपा ने सत्र के पहले दिन ही पंचायत चुनावों में हुई देरी पर स्थगन प्रस्ताव लाया था, जिसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद पहले दिन भी पूरा दिन इसी मुद्दे पर चर्चा हुई थी, जो दूसरे दिन भी जारी रही .
चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पूर्व सरकार पर जमकर हमला बोला। नेगी ने कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने प्रदेश को कबाड़ बना दिया था। इस विवादास्पद बयान के बाद सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा इतना बढ़ गया कि अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी .
पंचायत चुनावों में देरी का मुद्दा इस सत्र का प्रमुख बिंदु बना हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर चुनावों को टाल रही है, जबकि सरकार का कहना है कि वह कानून के दायरे में रहकर ही चुनाव करवाएगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बुधवार को ही सदन में कहा था कि कांग्रेस संविधान की सबसे बड़ी रक्षक पार्टी है और पंचायत चुनाव कानून की परिधि में ही करवाए जाएंगे .
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की यह घटनाक्रम दर्शाता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों दल अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं, जिससे सदन का कामकाज प्रभावित हो रहा है। पंचायत चुनावों को लेकर यह विवाद और सदन में हुआ हंगामा आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है। सत्र 5 दिसंबर तक जारी रहेगा, जहां और अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है .
