Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार के खिलाफ दो अहम मामलों में सख्त रुख अपनाया है। पहला मामला लेबर वेलफेयर ऑफिसर्स को रेगुलर होने के बाद भी पुरानी सैलरी देने का है। वहीं, दूसरा मामला रिहायशी इलाकों के पास स्टोन क्रशर लगाने से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने इन दोनों ही मुद्दों पर राज्य सरकार और प्रशासन से जवाब तलब किया है।
रेगुलर हुए, लेकिन सैलरी अभी भी कॉन्ट्रैक्ट वाली
जस्टिस संदीप शर्मा की कोर्ट ने लेबर वेलफेयर ऑफिसर्स की याचिका पर सुनवाई की। कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी सेवाएं रेगुलर हो गई हैं, फिर भी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है।
- हाई कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है।
- सरकार को बताना होगा कि नई सैलरी क्यों नहीं दी गई।
- मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
ये कर्मचारी पहले क्लास-II (गजटेड) पद पर कॉन्ट्रैक्ट पर थे। इन्हें 29,220 रुपये महीना मिल रहा था। 7 जुलाई, 2025 को इन्हें रेगुलर कर दिया गया। नियमानुसार इन्हें अब पे-बैंड 10,300-34,800 और 5,000 ग्रेड पे (लेवल 16) मिलना चाहिए। लेकिन विभाग अभी भी इन्हें पुरानी कॉन्ट्रैक्ट वाली सैलरी ही दे रहा है।
स्टोन क्रशर के नियमों पर भी मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) पर भी सुनवाई की। यह मामला हमीरपुर जिले के गलोड़ में लगने वाले एक प्रस्तावित स्टोन क्रशर का है।
- आरोप है कि यह क्रशर आबादी से दूरी के नियमों को तोड़ रहा है।
- यह 29 जून, 2021 की अधिसूचना के खिलाफ है।
- साइट इवैल्यूएशन कमेटी की 27 सितंबर, 2024 की रिपोर्ट पर भी सवाल उठे हैं।
चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधवालिया और जस्टिस ज़िया लाल भारद्वाज की बेंच ने इस पर नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि ग्रामीण आबादी से क्रशर की दूरी का सही पैमाना क्या है। निजी पक्षकारों को चार हफ्ते में जवाब देना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2026 को तय की गई है।
