Haryana News: पंजाब और हरियाणा High Court ने एक सनसनीखेज मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने रेप और हत्या के दोषी की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला फैसला दोषी की मां के लिए आया। कोर्ट ने मां को बरी करते हुए कहा कि वह अपने ‘राजा बेटे’ को बचाने की कोशिश कर रही थी। अदालत के अनुसार, बेटे के लिए मां का अंधा प्यार कोई अपराध नहीं है।
मां के ‘अंधे प्यार’ पर कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने इस मामले में समाज की सोच पर गहरी टिप्पणी की। High Court ने माना कि मां ने सबूत मिटाने या पुलिस को रोकने की कोशिश जरूर की, लेकिन यह साजिश नहीं थी। जजों ने कहा कि एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा भी हो, वह ‘राजा बेटा’ ही रहता है। उसे बचाने की कोशिश करना नैतिक रूप से गलत हो सकता है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत इसे अपराध मानकर सजा नहीं दी जा सकती। इसी आधार पर मां को रिहा कर दिया गया।
फांसी की सजा क्यों बदली?
High Court ने दोषी को फांसी के फंदे से तो बचा लिया, लेकिन उसे अब ताउम्र जेल में ही रहना होगा। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दोषी को ‘बिना किसी छूट’ के पूरी जिंदगी जेल में रखा जाए। जजों का मानना था कि यह हत्या पहले से प्लान नहीं की गई थी। आरोपी ने बलात्कार के बाद पकड़े जाने के डर से बच्ची को मारा था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों को आधार मानते हुए High Court ने फांसी की जगह ‘सख्त उम्रकैद’ को सही सजा माना।
आटे के ड्रम में छिपाया था शव
यह दिल दहला देने वाली घटना 31 मई 2018 को हरियाणा के पलवल में हुई थी। आरोपी एक 5 साल की मासूम को खाने के बहाने अपने साथ ले गया था। वहां उसने बच्ची के साथ दरिंदगी की और फिर चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी। उसने लाश को अपने घर में रखे आटे के ड्रम में छिपा दिया था। High Court ने पाया कि पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत थे।
डीएनए और गवाहों से खुला राज
जांच में सामने आया कि गांव वालों ने आरोपी को बच्ची का हाथ पकड़कर ले जाते देखा था। बच्ची के पिता को आरोपी ने झूठ बोला था। पुलिस ने जब छापा मारा तो ड्रम और पास पड़े पत्थर पर मिले खून के धब्बे बच्ची के डीएनए से मेल खा गए। High Court ने कहा कि इतने सबूत दोषी को सजा देने के लिए काफी हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि समाज की बेटियों को ऐसे दरिंदों से बचाने के लिए उसे हमेशा के लिए जेल में बंद रखना जरूरी है।
