Global News: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की सतह के नीचे एक विशाल और सक्रिय हिडन बायोस्फीयर की खोज की है। चीन और कनाडा के शोधकर्ताओं ने मिलकर पाया कि यह गहरा जैवमंडल सूरज की रोशनी से दूर, भूकंपों से उत्पन्न ऊर्जा पर निर्भर है। यह खोज पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देती है, जो कहती थीं कि गहरे अंधेरे में जीवन असंभव है। यह शोध जीवन की उत्पत्ति और विकास को समझने में मदद कर सकता है।
भूकंप और ऊर्जा का अनोखा संबंध
शोध में पाया गया कि भूकंपीय गतिविधियां हिडन बायोस्फीयर के लिए ऊर्जा का स्रोत बनती हैं। चट्टानों के टूटने से पानी के अणु विघटित होते हैं, जिससे हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन यौगिक बनते हैं। ये रासायनिक यौगिक सूक्ष्मजीवों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह प्रक्रिया एक प्राकृतिक बैटरी की तरह काम करती है, जो गहरे अंधेरे में जीवन को संभव बनाती है। यह खोज पृथ्वी के गहरे पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में महत्वपूर्ण है।
चीनी और कनाडाई वैज्ञानिकों का शोध
चीनी विज्ञान अकादमी के गुआंगझोउ इंस्टीट्यूट और कनाडा की अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित इस शोध में क्वार्ट्ज खनिज का अध्ययन किया गया। जब चट्टानें टूटती हैं, तो उनकी सतह पानी के संपर्क में आती है। इससे रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, जो हिडन बायोस्फीयर में सूक्ष्मजीवों के लिए ऊर्जा पैदा करती हैं। इस प्रक्रिया को समझने के लिए और शोध की जरूरत है।
जीवन के लिए अनुकूल वातावरण
पृथ्वी की गहराई में मौजूद हिडन बायोस्फीयर पराबैंगनी विकिरण और अन्य खतरों से सुरक्षित है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वातावरण जीवन की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त हो सकता है। भूकंपों से उत्पन्न हाइड्रोजन गैस सूक्ष्मजीवों को जीवित रखती है। यह खोज न केवल पृथ्वी के लिए बल्कि मंगल और यूरोपा जैसे ग्रहों पर जीवन की खोज के लिए भी महत्वपूर्ण है। अधिक जानकारी के लिए नासा की वेबसाइट देखें।
प्रोकैरियोट्स की विशाल संख्या
शोध के अनुसार, पृथ्वी की गहराई में प्रोकैरियोट्स की भारी मात्रा मौजूद है। ये एककोशिकीय जीव बिना झिल्ली-युक्त कोशिकांगों के होते हैं। अनुमान है कि ये जीव पृथ्वी के कुल जैविक द्रव्यमान का 95% हिस्सा हो सकते हैं। यह खोज दर्शाती है कि हिडन बायोस्फीयर में जीवन की विविधता और मात्रा पहले के अनुमानों से कहीं अधिक है। यह जीवन की समझ को नया आयाम देता है।
अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना
इस खोज ने मंगल और ज्यूपिटर के चंद्रमा यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं को और मजबूत किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर पृथ्वी की गहराई में जीवन संभव है, तो अन्य ग्रहों पर भी ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं। भूकंपीय गतिविधियों से उत्पन्न ऊर्जा वहां भी सूक्ष्मजीवों को जीवित रख सकती है। यह शोध अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए नई दिशाएं खोलता है।
भविष्य के शोध की जरूरत
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज ने कई नए सवाल खड़े किए हैं। भूकंपों और रासायनिक प्रतिक्रियाओं का जीवन पर प्रभाव अभी पूरी तरह समझा नहीं गया है। भविष्य में और अध्ययन से यह स्पष्ट हो सकता है कि हिडन बायोस्फीयर कैसे विकसित हुआ और इसका पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या प्रभाव है। यह खोज विज्ञान की सीमाओं को और विस्तार देगी।
