Shimla News: आज हिमाचल में धूमधाम से गणतंत्रता दिवस मनाया गया, सरकार के नेताओं और प्रशासन के अधिकारियों ने भले ही आम जनता के साथ बड़े बड़े लुभावने वादे किए हो। लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार भारत में गणतंत्र के जनक और संविधान निर्माता को भूली ही नही अपितु शिमला में चौड़ा मैदान में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के मूर्ति के आगे किसी भी नेता या अधिकारी ने फुल तक अर्पित नही किए। जिन बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के ज्ञान का डंका अमेरिका तक में बजता है और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनको ज्ञान का सूरज कहा था। उन डॉक्टर भीम राव अंबेडकर को हिमाचल सरकार ने कोई सम्मान नही दिया।

डॉक्टर भीम राव अंबेडकर को सम्मान नही दिया यह एक अलग बात है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गणतंत्रता दिवस की संध्या पर चौड़ा मैदान में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की मूर्ति के चारों ओर गंदगी के ढेर लगा दिए गए। जिस ठेकेदार को गणतंत्रता दिवस के आयोजन का काम मिला था। उसने सभी झांकियों को चौड़ा मैदान में लाकर तोड़ा और सारी गंदगी का ढेर बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति के सामने लगा दिया। इस बात का पता जैसे ही भीम आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार दलित को चला वह तत्काल चौड़ा मैदान चल पड़े।

जानकारी के मुताबिक रवि कुमार दलित चौड़ा मैदान में रात आठ बजे पहुंचे। 8 बजे से 10 बजे तक जब वहां कोई कार्यवाही नहीं हुई। तो रवि कुमार दलित अपने दो साथियों सुशील कुमार बौद्ध और किशोर वाल्मीकि के साथ रात 10:30 बजे वही डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की मूर्ति के नीचे धरने पर बैठ गए। जिसके चलते प्रशासन और पुलिस तत्काल हरकत में आई और ठेकेदार समेत मौके पर पहुंचे तथा वहां रात को ही सारा कचरा उठवा कर सफाई करवाई गई। जानकारी के मुताबिक इस मामले में अभी तक शिमला पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नही की है।

भीम आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार दलित ने बताया कि गणतंत्रता दिवस के मौके पर इस तरह से बाबा साहब का अपमान हम कतई सहन नही करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार तत्काल जांच बैठाए और दोषी अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करे। ताकि भविष्य में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर का अपमान ना हो।

यह बेहद शर्मनाक बात है कि हिमाचल सरकार आज संविधान निर्माता को भूल गई है। जिस संविधान से प्रदेश सरकार में बैठे समस्त नेताओं अधिकारियों को शक्तियां मिलती है। उस संविधान निर्माता को भूल जाना और पुष्प तक अर्पित नही करना तथा उनकी मूर्ति के पास गंदगी फैलाना कई सवालों को जन्म देता है। शिमला में किया गया यह कृत्य सरकार, प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़े प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि क्या हिमाचल प्रदेश सरकार संविधान निर्माता को इंसाफ दिला पाती है या मामले को यूं ही रफा दफा कर दिया जाता है।