शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

स्वास्थ्य चेतावनी: लंबे समय बैठे रहने से बढ़ रहा है हृदय रोग और कैंसर का खतरा

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Health News: डॉक्टरों ने एक गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है। लंबे समय तक लगातार बैठे रहना आपके दिल और समग्र स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है। कार्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक, यह सिर्फ पीठ दर्द का मामला नहीं है। यह आदत हृदय रोग और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के खतरे को बढ़ा रही है।

हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि आधुनिक जीवनशैली ने हमें निष्क्रिय बना दिया है। कार्यालयों में घंटों डेस्क पर बैठना आम बात हो गई है। घर से काम करने की प्रवृत्ति ने भी शारीरिक गतिविधि को और कम कर दिया है। यह स्थिति शरीर के लिए अप्राकृतिक है।

एक ही स्थान पर घंटों बैठे रहने से शरीर के मूल कार्य बाधित होते हैं। रक्त प्रवाह सुचारू नहीं रह पाता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म यानी चयापचय प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। इसका सीधा असर हमारी कोशिकाओं की सेहत पर पड़ता है।

बैठे रहने से क्यों बढ़ता है खतरा

लंबे समय तक बैठे रहना एक सक्रिय स्वास्थ्य जोखिम माना जा रहा है। इससे रक्त संचार प्रणाली धीमी हो जाती है। शरीर में ऊर्जा का प्रवाह कम होने लगता है। इस स्थिति में कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा का स्तर असामान्य रूप से बढ़ सकता है।

यह असंतुलन मेटाबॉलिक सिंड्रोम को जन्म दे सकता है। इस सिंड्रोम में उच्च रक्तचाप, उच्च ब्लड शुगर और असामान्य कोलेस्ट्रॉल एक साथ देखे जाते हैं। हृदय को इन स्थितियों में सामान्य रूप से रक्त पंप करने में कठिनाई होती है।

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इसके परिणामस्वरूप हृदयाघात और हृदय संबंधी अन्य बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक प्रकाशन के अनुसार, निष्क्रियता हृदय स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। यह धूम्रपान और अस्वासक आहार जितना ही हानिकारक हो सकता है।

व्यायाम भी नहीं है पूर्ण समाधान

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि केवल नियमित व्यायाम ही पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञ स्पष्ट करते हैं कि दिन भर बैठे रहने के बाद शाम को व्यायाम करने से पूरा लाभ नहीं मिलता। आठ से दस घंटे की निष्क्रियता का दुष्प्रभाव बना रहता है।

शोध इस बात की पुष्टि करते हैं। ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लंबे समय तक बैठना एक स्वतंत्र जोखिम कारक है। यहां तक कि सक्रिय लोग भी इसके प्रभाव से पूरी तरह बच नहीं पाते हैं।

अध्ययन बताते हैं कि दिन में छह से आठ घंटे से अधिक बैठने वाले लोगों में स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। इनमें समय से पहले मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है। यह डेटा एक बड़ी आबादी के दीर्घकालिक अध्ययन पर आधारित है।

कैंसर का बढ़ता है खतरा

निष्क्रिय जीवनशैली का संबंध कैंसर के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, लंबे समय तक बैठे रहने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इनमें कोलोरेक्टल और एंडोमेट्रियल कैंसर शामिल हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रभाव शारीरिक गतिविधि की कमी और मोटापे से जुड़ा है। साथ ही, बैठे रहने से इंसुलिन प्रतिरोध और सूजन बढ़ सकती है। ये दोनों ही स्थितियां कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।

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इन खतरों के बावजूद, अधिकांश लोग अपनी दिनचर्या में बदलाव नहीं करते। तकनीक ने हमारे काम को आसान बनाया है। लेकिन इसने हमारी शारीरिक गतिविधि को भी कम कर दिया है। यह एक विडंबनापूर्ण स्थिति है।

निवारण के लिए सरल उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस समस्या के समाधान के लिए सरल उपाय सुझाते हैं। उनका कहना है कि हर 45 से 60 मिनट के बाद उठकर टहलना चाहिए। थोड़ी देर के लिए खड़े होने से भी रक्त संचार में सुधार होता है। यह एक छोटा लेकिन प्रभावी कदम है।

कार्यस्थल पर हल्की स्ट्रेचिंग करना भी फायदेमंद रहता है। कंधों और गर्दन के हल्के व्यायाम तनाव को कम कर सकते हैं। कुछ संगठन अब स्टैंडिंग डेस्क का उपयोग भी बढ़ावा दे रहे हैं। यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

टेलीफोन पर बात करते समय खड़े होना या टहलना एक और आसान तरीका है। छोटी दूरी के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करना भी मददगार हो सकता है। ये छोटे बदलाव दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

बच्चों पर भी असर

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