Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा विधायी कदम उठाया है. गुरुवार को कैबिनेट ने ‘कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम (रोकथाम और नियंत्रण) बिल, 2025’ को मंज़ूरी दे दी है. इस बिल का मुख्य उद्देश्य हेट क्राइम और हेट स्पीच को प्रभावी ढंग से रोकना और नियंत्रित करना है. सरकार अगले हफ़्ते बेलगावी में शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में इसे राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश करने की तैयारी कर रही है.
कौन माना जाएगा हेट क्राइम का दोषी?
मसौदा बिल हेट क्राइम की परिभाषा तय करता है. इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो निम्नलिखित आधारों पर किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाता है या नफरत फैलाता है, वह दोषी माना जाएगा:
- धर्म, जाति, समुदाय या जनजाति.
- लिंग या यौन रुझान.
- जन्म स्थान, निवास या भाषा.
- विकलांगता.
यह कानून व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह या असहिष्णुता के कारण उकसाने वाले कृत्यों पर भी लागू होगा.
कड़ी सज़ा और अपराध की प्रकृति
बिल में हेट क्राइम करने वाले व्यक्ति के लिए सज़ा का स्पष्ट प्रावधान है. हेट क्राइम का दोषी पाए जाने पर:
- उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है.
- या ₹5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- या दोनों की सज़ा मिल सकती है.
कानून के तहत, हेट क्राइम का अपराध गैर-संज्ञेय और गैर-जमानती होगा. इसकी सुनवाई फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी.
इलेक्ट्रॉनिक संचार भी बिल के दायरे में
कर्नाटक हेट स्पीच बिल का दायरा काफी व्यापक है. इसमें कोई भी ऐसा व्यक्ति शामिल है जो जानबूझकर कुछ भी प्रकाशित या प्रसारित करता है. इसमें वह व्यक्ति भी आता है जो इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन पर ऐसी सामग्री बनाता है या उपलब्ध कराता है. यदि यह स्पष्ट रूप से लगे कि उसका इरादा धर्म, जाति, भाषा या समुदाय के आधार पर नुकसान पहुँचाना या नफरत फैलाना है, तो उस पर कार्रवाई होगी.
