Haryana News: राज्यपाल असीम कुमार घोष ने एक महत्वपूर्ण अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 17 विभागों से जुड़े 42 कानूनों के 164 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया गया है। अब इन मामलों में आपराधिक मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं होगी। मामले प्रशासनिक जुर्माने के जरिए निपटाए जाएंगे। यह कदम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने और अदालतों के बोझ को कम करने के लिए उठाया गया है।
इस अध्यादेश का मुख्य उद्देश्य छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए लोगों को कानूनी दांव-पेच से बचाना है। पहली बार गलती करने वालों को अब जेल का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्हें चेतावनी या हल्के जुर्माने के जरिए सुधार का मौका मिलेगा। इससे आम आदमी को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
मामूली उल्लंघनों के लिए ₹500 तक जुर्माना
पहली श्रेणी में वे मामूली उल्लंघन शामिल हैं जिनके लिए पांच सौ रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है। इनमें सार्वजनिक स्थानों पर कपड़े धोना या पशु बांधना शामिल है। नगर निकायों से जुड़े छोटे उल्लंघन भी इसी श्रेणी में आएंगे। पानी की पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाना भी इसमें शामिल है। सड़क की नियमित रेखा पर निर्माण करना भी इसी श्रेणी का उल्लंघन माना जाएगा।
मध्यम स्तर के उल्लंघनों के लिए जुर्माना
दूसरी श्रेणी में मध्यम स्तर के उल्लंघन आते हैं। इनके लिए जुर्माना पांच सौ से पांच हजार रुपये तक हो सकता है। नगर निकाय के आदेशों का पालन न करना इसका उदाहरण है। सफाई कर्मचारी का बिना सूचना के गैरहाजिर रहना भी इसमें शामिल है। ज्वलनशील पदार्थों को गलत तरीके से जमा करने पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
गंभीर उल्लंघनों पर भारी जुर्माना
तीसरी श्रेणी में गंभीर और बार-बार किए गए उल्लंघन शामिल हैं। इनके लिए जुर्माना पचास हजार से एक लाख रुपये तक हो सकता है। नहर को गैरकानूनी तरीके से पार करने पर यह जुर्माना लगेगा। जांच में बाधा डालने पर भी भारी जुर्माने का प्रावधान है। सूर्यास्त के बाद लकड़ी की बिक्री करना भी इसी श्रेणी में आएगा।
कृषि और ग्रामीण प्रशासन पर प्रभाव
यह अध्यादेश कृषि क्षेत्र से जुड़े कई प्रावधानों को भी प्रभावित करता है। जानबूझकर सर्वे के निशान को नुकसान पहुंचाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। खेत के मालिक द्वारा काश्तकार को पानी रोकने पर बीस हजार रुपये का जुर्माना होगा। गन्ना खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी करने पर पच्चीस हजार से पचास हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
पंचायती राज व्यवस्था में बदलाव
राज्यपाल ने पंचायती राज अध्यादेश में भी संशोधन को मंजूरी दी है। अब ग्राम सभा की कुछ बैठकों के लिए कोरम की आवश्यकता कम कर दी गई है। सरकारी योजनाओं पर चर्चा के लिए चालीस प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति जरूरी होगी। स्थगित बैठकों के मामले में यह आवश्यकता और कम हो जाएगी। पहली स्थगन अवधि में तीस प्रतिशत और दूसरी में बीस प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति पर्याप्त होगी।
नागरिकों के लिए सुनवाई का अधिकार
अध्यादेश में नागरिकों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है। किसी भी सक्षम प्राधिकरण द्वारा बिना सुनवाई जुर्माना नहीं लगाया जा सकेगा। यह प्रावधान नागरिकों को अनुचित दंड से बचाने के लिए शामिल किया गया है। संबंधित व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
यह अध्यादेश केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम के अनुरूप लाया गया है। विधानसभा का सत्र न चलने के कारण इसे अध्यादेश के रूप में लागू किया गया है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे कानून का रूप दिया जाएगा। इस कदम से न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम होने की उम्मीद है।
