Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में ऐतिहासिक हराबाग को बचाने के लिए जनता सड़कों पर उतर आई है। सरकार द्वारा बाग की 103 बीघा जमीन को हस्तांतरित करने के फैसले के खिलाफ “हराबाग बचाओ संघर्ष समिति” ने बड़ा प्रदर्शन किया और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा।
क्या है पूरा विवाद?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नेरचौक मेडिकल कॉलेज के लिए अधिग्रहित भूमि के बदले मीर बक्श को 103 बीघा जमीन आवंटित की जानी है। हस्तांतरण के लिए हराबाग के सरकारी बगीचे को चुना गया है, जो 1962 में हिमाचल के निर्माता डॉ. वाई.एस. परमार द्वारा स्थापित किया गया था।
हराबाग का ऐतिहासिक महत्व
- परमार की विरासत: हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थापित उद्यान क्रांति का प्रतीक
- बागवानी केंद्र: 4,000 लीची के पेड़ों सहित उच्च गुणवत्ता वाले फलदार पौधों का स्रोत
- रोजगार सृजन: सैकड़ों बागवानों और मजदूरों की आजीविका का आधार
- रिसर्च सेंटर: 12 करोड़ रुपये की लागत से आम पर शोध केंद्र निर्माणाधीन
जन आक्रोश और राजनीतिक प्रतिक्रिया
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से मीर बक्श से कोई समस्या नहीं, लेकिन वे इस ऐतिहासिक धरोहर की बलि नहीं चढ़ने देंगे। समिति ने सवाल उठाया कि जब वैकल्पिक भूमि उपलब्ध है, तो उत्पादक बाग को क्यों उजाड़ा जा रहा है?
पूर्व विधायक सोहनलाल ठाकुर, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और स्थानीय विधायक राकेश जमवाल ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि वे इस हस्तांतरण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। विधायक जमवाल ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने का भी वादा किया।
आगे की राह
यह विवाद हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत और विकास के बीच तनाव को उजागर करता है। अब देखना है कि सरकार जनभावनाओं और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।
