India News: भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम तेजस एक नए मुकाम पर पहुंचने जा रहा है। तेजस एमके-2 को लेकर रक्षा हलकों में जबरदस्त उत्सुकता है। इसका पहला प्रोटोटाइप 2025 के अंत तक तैयार हो सकता है। साल 2026 की शुरुआत में इसके पहली उड़ान भरने की उम्मीद है। यह विमान भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को नया आयाम देगा।
तेजस एमके-2 का एयरफ्रेम एमके-1 से बड़ा होगा। इसमें क्लोज-कपल्ड कैनार्ड्स दिए जाएंगे जिससे इसकी युद्धक क्षमता और भी निखरेगी। इसे अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक एफ-414 इंजन शक्ति देगा। यह इंजन तेजस को अधिक गति और पेलोड क्षमता प्रदान करेगा। स्वदेशी एवियोनिक्स और उन्नत रडार सिस्टम इसे अत्याधुनिक बनाएंगे।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का दावा है कि इसमें 82% से अधिक स्वदेशी तकनीक होगी। यह आंकड़ा धीरे-धीरे 90% से ऊपर पहुंच जाएगा। इंजन उत्पादन के लाइसेंस मिलने के बाद यह लक्ष्य और सुलभ हो जाएगा। उत्पादन की प्रक्रिया 2029 से शुरू होकर 2032 से भारतीय वायुसेना को आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त करेगी।
तेजस के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है मीटियोर मिसाइल का इंटीग्रेशन। यह मिसाइल तेजस को 150 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर दुश्मन को मार गिराने की क्षमता देती है। तेज गति और लंबी दूरी वाली यह मिसाइल तेजस के लिए गेम-चेंजर मानी जा रही है। इसके शामिल होने से भारतीय वायुसेना का हवाई प्रभुत्व काफी मजबूत होगा।
स्वदेशी उत्तम एईएसए रडार तेजस की रीढ़ साबित होगा। यह रडार लंबी दूरी पर टारगेट डिटेक्शन और मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग जैसी खूबियों से लैस है। इसके साथ अस्त्र-2 मिसाइल के एकीकरण से तेजस की हवाई युद्ध क्षमता दोगुनी हो जाएगी। अस्त्र-2 मिसाइल बेहतर रेंज और अत्याधुनिक सीकर तकनीक से लैस है।
तेजस एमके-2 का रडार क्रॉस-सेक्शन घटाकर इसे आंशिक स्टील्थ फीचर से लैस किया गया है। लागत के लिहाज से यह एक किफायती और बहु-भूमिका निभाने वाला विमान साबित होगा। यह भारत की वायु युद्ध रणनीति को संतुलित बनाए रखेगा। चीन के जे-20 जैसे स्टील्थ फाइटर्स के मुकाबले में भी यह प्रासंगिक रहेगा।
जनरल इलेक्ट्रिक से इंजन आपूर्ति भारत के लिए अहम है। हालिया रिपोर्टों में संकेत है कि एचएएल और जीई एयरोस्पेस के बीच इंजन के स्थानीय उत्पादन को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। यदि यह समझौता सफल होता है तो भारत आयात निर्भरता से भी काफी हद तक मुक्त हो जाएगा। इससे उत्पादन समयसीमा को पूरा करने में मदद मिलेगी।
तेजस का एमके-1ए संस्करण पहले से ही उत्पादन चरण में है। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स और स्वदेशी उत्तम रडार शामिल किए गए हैं। हाल ही में इसका पहला उड़ान परीक्षण संपन्न हुआ है। इससे वायुसेना की परिचालन क्षमता में बड़ा सुधार आएगा। लक्ष्य है कि 2034 तक 120 यूनिट्स वायुसेना में शामिल हो जाएं।
