Delhi News: ‘लेने के देने पड़ गए’ वाली कहावत दिल्ली में एक तलाक के केस में सही साबित हुई। आमतौर पर तलाक के केस में पति ही अपनी पत्नी को क्षतिपूर्ति के तौर पर एक मुश्त रकम देता है, लेकिन एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें आपसी सुलह से तलाक के लिए पत्नी ने पति को 12 लाख रुपये का भुगतान किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच हुए इस समझौते के आधार पर पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों में दर्ज मुकदमर को भी रद्द कर दिया है।
जस्टिस विकास महाजन ने अपने फैसले में कहा है कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाद को सुलझा लिया है, ऐसे में अब पति के खिलाफ दर्ज मुकदमा को जारी रखने से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी। कोर्ट ने कहा है कि महिला ने खुद माना है कि उसने बिना किसी दवाब के समझौता किया है, ऐसे में अब इस मुकदमा को खारिज किया जाता है।
हाईकोर्ट ने पति की ओर से पत्नी द्वारा दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों में दर्ज मुकदमा को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है। इस मामले में मुकदमा रद्द करने की मांग करते हुए पति ने कहा था कि उनका पत्नी से समझौता हो गया है।
कोर्ट में पेश दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के मुताबिक, तलाक देने के लिए महिला अपने पति को 12 लाख रुपये अदा करेगी। महिला ने इसमें से पति को छह लाख रुपये का तलाक के पहले चरण की प्रक्रिया के दौरान इसी साल जनवरी में भुगतान कर दिया है, जबकि बाकी के छह लाख रुपये का भुगतान तलाक के दूसरे चरण की प्रक्रिया पूरी होने पर किया जाएगा।
इस मामले में महिला ने भी कोर्ट को बताया कि उसने आपसी सहमति से विवाद का सुलझा लिया है और अब पति के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमा को वापस नहीं बढ़ाना चाहती है।