International News: अमेरिका में एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ने के बाद चीन और ब्रिटेन ने वैश्विक प्रतिभाओं के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं। चीन अक्टूबर से नया ‘के-वीजा’ लॉन्च कर रहा है जबकि ब्रिटेन वीजा शुल्क माफी पर विचार कर रहा है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर के नए शुल्क के बाद आया है।
एच-1बी वीजा धारकों में भारतीय पेशेवरों की हिस्सेदारी लगभग 71 प्रतिशत है। चीनी पेशेवरों की हिस्सेदारी 11.7 प्रतिशत है। चीन ने सोमवार को ट्रंप के फैसले पर सीधी टिप्पणी करने से इनकार किया। लेकिन उसने वैश्विक प्रतिभाओं को चीन आने का आमंत्रण दिया।
चीन का नया के-वीजा
चीन ने अक्टूबर से प्रभावी होने वाले नए ‘के-वीजा’ की घोषणा की है। यह वीजा विदेशी युवा प्रतिभाओं और वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध होगा। इसके लिए किसी घरेलू नियोक्ता से आमंत्रण की आवश्यकता नहीं होगी। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार स्टेट काउंसिल ने इस नई वीजा श्रेणी को मंजूरी दे दी है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग वैश्विक प्रतिभाओं का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि प्रतिभाएं चीन आकर मानव समाज की प्रगति में योगदान दे सकती हैं। चीन ने 40 से अधिक देशों के पर्यटकों के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश की भी घोषणी की है।
ब्रिटेन की वीजा रणनीति
ब्रिटेन सरकार वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए वीजा शुल्क माफी पर विचार कर रही है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल टैलेंट टास्कफोर्च इस दिशा में काम कर रहा है। यह टास्कफोर्च प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर और वित्त मंत्री रेचल रीव्स को रिपोर्ट करता है।
सरकारी अधिकारी ने बताया कि वे वीजा लागत शून्य करने के विचार पर विचार कर रहे हैं। यह सुविधा दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के स्नातकों या पुरस्कार विजेताओं के लिए होगी। टास्कफोर्च की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के व्यापार सलाहकार वरुण चंद्रा कर रहे हैं।
एक्स कंपनी में भारतीयों की भूमिका
पूर्व ट्विटर एग्जिक्यूटिव एस्थर क्राफर्ड ने कहा कि एक्स कंपनी एच-1बी इंजीनियरों की वजह से बची हुई है। उन्होंने कहा कि अधिकतर इंजीनियर भारत और चीन से थे। क्राफर्ड ने कंपनी के अधिग्रहण के दौरान प्रोडक्ट मैनेजमेंट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया था।
क्राफर्ड ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि इन इंजीनियरों ने अधिग्रहण के बाद लंबे समय तक काम किया। उन्होंने अमेरिकी सहयोगियों के साथ मिलकर जटिल समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने आप्रवासन-विरोधी टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए यह बात कही।
वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धा
अमेरिका में वीजा नीतियों में बदलाव ने वैश्विक प्रतिभा बाजार में नई प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी है। देश अब योग्य पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए नई नीतियां बना रहे हैं। चीन और ब्रिटेन के कदम इसी दिशा में हैं। भारतीय पेशेवरों के लिए नए अवसर उत्पन्न हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिभा का यह पलायन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। टेक कंपनियों को कुशल कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इससे वैश्विक नवाचार के केंद्रों में बदलाव आ सकता है। कंपनियां अब अन्य देशों में अपने केंद्र स्थापित करने पर विचार कर सकती हैं।
