Gujarat News: गुजरात में संचालित सभी माध्यम व बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से 8वीं तक गुजराती भाषा अनिवार्य रुप से पढाने संबंधी विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल पर जुर्माना अथवा मान्यता भी रद्द की जा सकेगी। सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी बोर्ड संचालित स्कूलों में भी अब अनिवार्य रूप से गुजराती भाषा पढ़ानी होगी।
शिक्षामंत्री कुबेर डिंडोर ने मंगलवार को विधानसभा में गुजरात अनिवार्य शिक्षा एवं गुजराती भाषा शिक्षा विधेयक 2023 पेश किया। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित सभी विधायकों ने इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया। गुजरात शिक्षा बोर्ड सहित सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन [सीबीएसई], इंडियन सर्टिपिफकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन [आईसीएसई] तथा इंटरनेशनल एजुकेशन बोर्ड [आईबी] संचालित स्कूलों पर भी यह लागू होगा।
यह विधेयक अब मंजूरी के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत को भेजा जाएगा, उनकी स्वीक्रति के साथ ही यह राज्य में लागू हो जाएगा। इसके तहत यदि कोई स्कूल एक वर्ष से अधिक समय तक इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो सरकार उसके संबंधित “बोर्ड या संस्थान को” स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्देश दे
सकती है। जिन स्कूल में अभी गुजराती भाषा नहीं पढाई जा रही है उनमें भी शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से कक्षा 1 से 8 तक के लिए गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाना होगा।
डिंडोर ने बताया कि सरकार इस बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग के एक उप निदेशक स्तर के अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी के रूप में नियुक्त करेगी। यदि कोई स्कूल पहली बार प्रावधानों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो वह कानून के अनुसार 50,000 रुपये का जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होगा। एक से अधिक बार उल्लंघन करने पर जुर्माना 1 लाख रु और 2 लाख रु देने होंगे।
कोई स्कूल एक साल तक इस कानून का उललंघन करती है तो सरकार उसके संबंधित बोर्ड को स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्देश दे सकेगी। ऐसा ही एक विधेयक राज्य सरकार ने 2018 में पारित किया था लेकिन उसका पालन नहीं हो सका। हाल ही उच्च न्यायालय में इससे संबंधित एक जनहित याचिका दाखिल हुई थी, हाईकोर्ट ने भी इस मामले में सख्ती दिखाई थी।
अदालत ने प्राथमिक स्कूल में कक्षा एक से 8वीं तक गुजराती भाषा पढाने के आदेश भी जारी किये थे। कांग्रेस विधायक अमित चावडा व अर्जुन मोढवाडिया ने सरकार पर विधेयक की पालना कराने को लेकर शंका जताते हुए कहा कि विधेयक में जुर्माना राशि को बढाया जाना चाहिए। साथ ही माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में भी गुजराती को एक अनिवार्य विषय के रूप में पढाए जाने का आग्रह किया।