Ahmedabad News: Gujarat High Court ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब मुस्लिम Waqf Board और उसकी संस्थाओं को कोर्ट फीस में कोई छूट नहीं मिलेगी. उन्हें भी दूसरे धार्मिक ट्रस्टों की तरह पूरी फीस जमा करनी होगी. कोर्ट ने वक्फ की करीब 150 याचिकाओं को एक साथ खारिज कर दिया है. इन याचिकाओं में फीस से छूट की मांग की गई थी. कोर्ट ने इसे बेबुनियाद करार दिया है.
अब नहीं चलेगा अलग नियम
अभी तक Waqf Board की संस्थाएं कानूनी नियमों का हवाला देकर फीस देने से बच रही थीं. लेकिन हाई कोर्ट ने अब स्थिति साफ कर दी है. अब मुस्लिम वक्फ को अन्य चैरिटेबल संस्थाओं और ट्रस्टों के बराबर ही माना जाएगा. न्यायिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए उन्हें तय कोर्ट फीस चुकानी होगी. कोर्ट का यह आदेश स्पष्ट करता है कि कानून की नजर में सभी धार्मिक संस्थाएं एक समान हैं.
उपमुख्यमंत्री बोले- कोई कानून से ऊपर नहीं
गुजरात के उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि Gujarat High Court का यह निर्णय न्यायिक क्षेत्र में बराबरी लाएगा. कोई भी धार्मिक संस्था कानून से ऊपर नहीं हो सकती. हिंदू ट्रस्ट सालों से कोर्ट फीस भर रहे हैं, इसलिए Waqf Board के लिए अलग नियम नहीं होना चाहिए. सरकार ‘सबका साथ और समान न्याय’ के मंत्र पर चलती है. इस फैसले से सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी.
संवैधानिक समानता की जीत
कानून राज्य मंत्री कौशिक वेकारिया ने भी कोर्ट के आदेश की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में किसी के साथ भेदभाव नहीं होता. यह फैसला कानून के शासन की जीत है. Waqf Board को मिले विशेष अधिकार खत्म होने से प्रक्रिया निष्पक्ष होगी. यह फैसला संविधान में दर्ज समानता के अधिकार को और मजबूत करता है. अब सभी के लिए एक जैसा कानूनी ढांचा लागू होगा.
