Gujarat News: गुजरात भाजपा सरकार के पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया है। सोलह मंत्रियों के इस इस्तीफे के बाद अब नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने इसकी पुष्टि की है। नए मंत्री महात्मा मंदिर में आयोजित समारोह में पद की शपथ लेंगे। यह फैसला अगले विधानसभा चुनाव से दो साल पहले लिया गया है।
इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में आठ कैबिनेट मंत्री और आठ राज्य मंत्री शामिल हैं। कैबिनेट मंत्रियों में कनुभाई देसाई, ऋषिकेश पटेल और राघवजी पटेल जैसे वरिष्ठ नेता हैं। राज्य मंत्रियों में हर्ष संघवी, जगदीश पांचाल और मुकेश पटेल जैसे चेहरे शामिल हैं। सभी ने एक साथ अपने पदों से इस्तीफा सौंप दिया है।
चुनावी रणनीति के तहत फेरबदल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में 156 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी। बाद में अन्य विधायकों के शामिल होने से पार्टी की संख्या 162 हो गई। इस प्रचंड बहुमत के बावजूद पार्टी के भीतर असंतोष के संकेत मिले थे।
विश्लेषक घनश्याम शाह कहते हैं कि इतने बड़े बहुमत के बाद हर विधायक की उम्मीदों पर खरा उतरना मुश्किल था। 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा में विरोध के स्वर सुनाई दिए। वडोदरा और साबरकांठा में दो उम्मीदवार बदलने पड़े थे। इसके बाद से पार्टी में असंतोष दिख रहा था।
सौराष्ट्र क्षेत्र में असंतोष
सौराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार कौशिक मेहता के अनुसार इस क्षेत्र के लोगों को लग रहा था कि भाजपा उनकी उपेक्षा कर रही है। दक्षिण गुजरात को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। सौराष्ट्र के लेउवा पटेल समुदाय में भी काफी नाराजगी थी। इस असंतोष को दूर करना जरूरी था।
मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष पद अहमदाबाद के पास चले जाने से सौराष्ट्र में सत्ता संतुलन की जरूरत महसूस की जा रही थी। विशेषज्ञों का मानना है कि नए मंत्रिमंडल में वित्त, उद्योग और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभागों में सौराष्ट्र की आवाज को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
आम आदमी पार्टी की बढ़ती चुनौती
विसावदर सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक के चुने जाने के बाद स्थिति में बदलाव आया है। आप ने 40 सीटों पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। बोटाद में हो रहे विरोध प्रदर्शन का असर आसपास की सीटों पर भी देखा जा सकता है। यह स्थिति भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर रही है।
आगामी नगर निगम और जिला पंचायत चुनावों को देखते हुए पार्टी नई रणनीति पर काम कर रही है। मानसून के दौरान सरकार के कामकाज से सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में असंतोष देखने को मिला था। नए मंत्रिमंडल के गठन से इस असंतोष को कम करने की कोशिश की जा रही है।
जातिगत समीकरणों में संतुलन
राजनीतिक विश्लेषक विद्युत जोशी के अनुसार भाजपा पिछले कुछ सालों से जातिगत समीकरणों में असंतुलन से जूझ रही है। सी.आर. पाटिल के प्रदेश अध्यक्ष बनने और अहमदाबाद से मुख्यमंत्री बनने के बाद सौराष्ट्र के लोगों में उपेक्षा की भावना थी। पहले सौराष्ट्र से ही प्रदेश अध्यक्ष या मुख्यमंत्री रखा जाता था।
भाजपा ने ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए जगदीश पांचाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। लेकिन सौराष्ट्र में सत्ता संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। नए मंत्रिमंडल में इस समस्या के समाधान की उम्मीद की जा रही है।
भाजपा की पुरानी रणनीति
विद्युत जोशी बताते हैं कि भाजपा पहले भी ऐसे मौकों पर सरकार बदल चुकी है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान केशुभाई पटेल की सरकार बदली गई थी। आनंदीबेन पटेल के समय जिला पंचायत चुनावों में असंतोष देखने को मिला था। उस समय भी मुख्यमंत्री बदलने का फैसला लिया गया था।
वर्तमान परिस्थितियों में पार्टी ने पूरे मंत्रिमंडल के इस्तीफे का रास्ता चुना है। इससे न केवल नए चेहरों को मौका मिलेगा बल्कि पार्टी के भीतर के असंतोष को भी कम किया जा सकेगा। यह फैसला आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया प्रतीत होता है।
गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव 2026 की शुरुआत में होने हैं। विधानसभा चुनाव 2027 के अंत में संपन्न होंगे। इन चुनावों से पहले पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। नए मंत्रिमंडल के गठन से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद है।
