Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड में नया मोड़ आया है। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी को बड़ी राहत दी है। अदालत ने जैदी को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है। यह मामला कोटखाई थाने के लॉकअप में आरोपी सूरज की हत्या से जुड़ा है। चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने इसी साल जनवरी में जैदी समेत आठ पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया था। अब हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी जैदी की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।
सीबीआई कोर्ट ने सुनाई थी कड़ी सजा
शिमला के कोटखाई में वर्ष 2017 में हुए इस कांड ने पूरे देश को हिला दिया था। सीबीआई की विशेष अदालत ने जहूर हैदर जैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों को इस साल 27 जनवरी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इन दोषियों में तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी और सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह भी शामिल थे। हालांकि, तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। कोर्ट ने माना था कि पुलिस हिरासत में आरोपी सूरज की हत्या के लिए ये अधिकारी जिम्मेदार थे।
लॉकअप में हुई थी सूरज की संदिग्ध मौत
गुड़िया हत्याकांड की जांच के दौरान पुलिस ने सूरज नामक मजदूर को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के 14 दिन बाद कोटखाई थाने के लॉकअप में सूरज की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। पुलिस ने दावा किया था कि दूसरे कैदी ने सूरज की हत्या की है। इस घटना के बाद शिमला में भारी आक्रोश फैल गया था। गुस्साई भीड़ ने थाने और कई सरकारी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
हाई कोर्ट में सजा को दी गई चुनौती
पूर्व आईजी जैदी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया। Shimla News के अनुसार, इस मामले में अन्य दोषियों में एएसआई दीप चंद शर्मा और मुख्य आरक्षी मोहन लाल भी शामिल हैं। फिलहाल जैदी को मिली यह राहत पुलिस विभाग और पीड़ितों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है। मामले की अगली सुनवाई में सीबीआई अपना पक्ष मजबूती से रख सकती है।
