New Delhi: जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक तीन सितंबर से शुरू हो चुकी है। इस बैठक में वस्तु एवं सेवा कर के ढाँचे में बड़े बदलावों पर चर्चा हो रही है। मौजूदा चार स्लैब व्यवस्था को सरल बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे आम उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की संभावना है।
टैक्स स्लैब में होने वाले प्रमुख बदलाव
वर्तमान में बारह प्रतिशत स्लैब में आने वाले निन्यानबे प्रतिशत सामानों को पाँच प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट किया जा सकता है। अट्ठाईस प्रतिशत स्लैब वाले नब्बे प्रतिशत उत्पादों को अठारह प्रतिशत स्लैब में लाने का प्रस्ताव है। ये फैसले प्रधानमंत्री के हालिया ऐलान को ध्यान में रखते हुए लिए जा सकते हैं।
सस्ते होने वाले उत्पादों की श्रेणी
पैकेज्ड मिठाइयाँ और नमकीन जैसे प्रोसेस्ड फूड आइटम कम दरों पर मिलेंगे। रेडीमेड कपड़े और जूते-चप्पल की कीमतों में कमी आएगी। वाशिंग पाउडर, ब्रश, पंखे और प्लास्टिक उत्पाद भी सस्ते होंगे। दवाइयाँ और पैकेज्ड मसालों पर भी टैक्स का बोझ कम होगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों पर प्रभाव
टीवी, फ्रिज, एसी और वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण सस्ते हो सकते हैं। मिड-सेगमेंट कारों और दोपहिया वाहनों की कीमतों में कमी आएगी। कॉस्मेटिक उत्पादों और इलेक्ट्रिकल सामान भी कम दामों में उपलब्ध होंगे।
महंगे होने वाले उत्पाद
शराब और लग्जरी कारों पर टैक्स दरों में वृद्धि का प्रस्ताव है। इन उत्पादों पर टैक्स अट्ठाईस प्रतिशत से बढ़कर चालीस प्रतिशत हो सकता है। इससे प्रीमियम श्रेणी के उत्पादों की कीमतों में इजाफा होगा। सरकार का लक्ष्य लग्जरी आइटम्स से अधिक राजस्व प्राप्त करना है।
अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव
इन बदलावों से उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी की संभावना है। विनिर्माण क्षेत्र को बिक्री बढ़ने से फायदा होगा। रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलेगी।
