शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

जीएसटी 2.0: हस्तशिल्प पर कम जीएसटी से कारीगरों को मिल रहा बड़ा फायदा, बढ़ी आय

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India Business News: अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार भारतीय कारीगरों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। जीएसटी 2.0 के तहत हस्तशिल्प उत्पादों पर कर दरों में कमी आई है। इससे कारीगरों के उत्पादों की बिक्री बढ़ी है और आय में सुधार हुआ है। अब वे फैक्ट्री में बने सामानों से बेहतर प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं।

लकड़ी के नक्काशीदार सामान, टेराकोटा जूट हैंडबैग और कपड़े की वस्तुओं पर जीएसटी कम हुई है। चमड़े के उत्पादों पर भी कर बोझ घटा है। इससे स्थानीय कारीगरों को सीधा लाभ मिल रहा है। उनके उत्पाद अब बाजार में अधिक सस्ते और आकर्षक हो गए हैं।

असम के मूगा रेशम उद्योग को बढ़ावा

असम का मूगा रेशम उद्योग इस सुधार से विशेष रूप से लाभान्वित हुआ है। सुआलकुची, लखीमपुर, धेमाजी और जोरहाट जिलों में यह उद्योग महिला बुनकरों की समृद्ध विरासत को दर्शाता है। हैंडलूम और हस्तशिल्प पर जीएसटी घटकर 5% हो गई है।

असम के हैंडलूम क्षेत्र में 12.83 लाख से अधिक बुनकर काम करते हैं। यहां लगभग 12.46 लाख करघे संचालित हैं। कम जीएसटी दर से बुनकरों को राहत मिली है। वे अब अपने उत्पाद बेहतर कीमत पर बेच पा रहे हैं। इससे निर्यात को भी बढ़ावा मिल रहा है।

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हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प को फायदा

हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प उद्योग को भी जीएसटी सुधारों से लाभ मिला है। कुल्लू घाटी में 3,000 से अधिक बुनकर जीआई-टैग वाले कुल्लू शॉल बुनते हैं। हैंडलूम उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो गई है।

चंबा रुमाल एक जीआई-टैग वाला हस्त-कढ़ाई वाला कपड़ा है। यह मुख्य रूप से चंबा जिले की महिला कारीगरों द्वारा बनाया जाता है। कम जीएसटी से इन रुमालों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। चंबा के पारंपरिक चमड़े के चप्पल भी लाभान्वित हुए हैं।

पश्चिम बंगाल के कारीगरों को राहत

पश्चिम बंगाल के कारीगरों को भी जीएसटी में कमी से सीधा लाभ मिला है। राज्य पारंपरिक क्राफ्ट और हैंडलूम के लिए प्रसिद्ध है। यहां के हस्तशिल्प उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो गई है। इससे स्थानीय कारीगरों की आय में वृद्धि हुई है।

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असम के जापी, अशारिकंडी टेराकोटा और मिशिंग हैंडलूम को भी लाभ हुआ है। पानी मेटेका और बिहू ढोल जैसे उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी है। कम जीएसटी ने स्वदेशी उत्पादों को बाजार में नया जीवन दिया है। कारीगर अब अपने पारंपरिक व्यवसाय को जारी रख सकते हैं।

चमड़े के उत्पादों में सुधार

चमड़े के उत्पादों पर जीएसटी में कमी आई है। इससे चंबा के पारंपरिक चमड़े के चप्पल अधिक प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। ये जीआई-टैग्ड उत्पाद कई छोटी कुटीर शिल्प इकाइयों द्वारा बनाए जाते हैं। कम जीएसटी ने इनकी कीमतों में कमी की है।

अब ये चप्पल मशीन से बने जूतों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी हैं। इससे स्वदेशी चप्पलों की बिक्री बढ़ी है। कारीगरों को अपने लाभ में सुधार करने में मदद मिली है। स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

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