World News: स्वीडन की मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल की सेना ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी एक ऐसे अभियान के दौरान हुई जिसमें वह गाजा के लिए मानवीय सहायता लेकर जा रही थीं। इजरायल का कहना है कि उन्होंने समुद्री नाकाबंदी को तोड़ने की कोशिश की थी। गिरफ्तारी के बाद कार्यकर्ताओं ने ग्रेटा के साथ दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि इजरायल इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करता है।
ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला नाम के इस राहत अभियान में 40 से अधिक नावें शामिल थीं और करीब 500 लोग सवार थे। इनमें कार्यकर्ता, सांसद और वकील शामिल थे जो गाजा में इजरायल की नाकाबंदी तोड़कर वहां के लोगों तक खाना और दवा जैसी बुनियादी चीजें पहुंचाना चाहते थे। इजरायली नौसेना ने गुरुवार-शुक्रवार की रात इन नावों को गाजा से करीब 75 मील दूर रोक दिया और सभी यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद दुर्व्यवहार के आरोप
गिरफ्तार कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि हिरासत के दौरान ग्रेटा थनबर्ग के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। एक कार्यकर्ता के मुताबिक, ग्रेटा को उनके बालों से पकड़कर घसीटा गया और उनके साथ मारपीट की गई। उन पर इजरायली झंडा पहनने और उसे चूमने के लिए दबाव डाला गया। कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि उन्हें हिरासत में न तो पर्याप्त खाना दिया गया और न ही पानी, साथ ही उनकी दवाइयां और सामान भी जब्त कर लिया गया।
इजरायल ने किया आरोपों का खंडन
इजरायल ने कार्यकर्ताओं की ओर से लगाए गए इन सभी आरोपों का खंडन किया है। इजरायली विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सभी बंदियों को पानी, भोजन और शौचालय की सुविधा दी गई और उनके सभी कानूनी अधिकारों का पूरा सम्मान किया गया। इजरायल की ओर से जारी एक वीडियो में ग्रेटा को सुरक्षित और स्वस्थ दिखाया गया है। इजरायली अधिकारियों ने इस पूरे फ्लोटिला को ‘आतंकवाद’ से जोड़ने का प्रयास किया है।
ग्रेटा की हिरासत की शिकायतें
ग्रेटाथन बर्ग ने स्वीडिश दूतावास के अधिकारियों से शिकायत की है कि उन्हें जिस जेल में रखा गया है, वहां बेडबग्स की भरमार है, जिसकी वजह से उनके शरीर पर चकत्ते पड़ गए हैं। उन्होंने अपर्याप्त खाना-पानी और घंटों तक कठोर सतहों पर बैठने की परेशानी भी जताई। ग्रेटा को केट्जियोट नाम की जेल में रखा गया है, जो नेगेव रेगिस्तान में स्थित है और जहां ज्यादातर फिलिस्तीनी कैदियों को रखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और निर्वासन
इस पूरे घटनाक्रम पर दुनिया भर में प्रतिक्रियाएं आई हैं। तुर्की ने फ्लोटिला पर इजरायल की कार्रवाई को ‘आतंकवाद जैसा’ करार दिया है। इटली में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। गिरफ्तार किए गए लगभग 137 कार्यकर्ताओं को निर्वासित करने के बाद तुर्की भेज दिया गया है। इस समूह में 36 तुर्की नागरिकों के अलावा अमेरिका, इटली, स्विट्जरलैंड और कई अन्य देशों के लोग शामिल थे।
यह ग्रेटा थनबर्ग के साथ दूसरी बार हुआ है जब उन्होंने गाजा के लिए एक समुद्री अभियान में हिस्सा लिया और इजरायल ने उन्हें रोक दिया। इससे पहले इस साल की शुरुआत में भी उन्हें इसी तरह पकड़कर देश से बाहर कर दिया गया था। यह घटना गाजा में जारी संघर्ष और वहां की मानवीय स्थितियों की ओर एक बार फिर से दुनिया का ध्यान खींचती है।
