Green Tax In Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला आने वाले बाहरी राज्यों के वाहनों से नगर निगम ग्रीन फीस वसूलेगा। बीते साल की तरह इस बार भी नगर निगम के वार्षिक बजट में ग्रीन फीस वसूलने का प्रस्ताव पारित किया है।
इसे मंजूरी के लिए अब प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। सरकार से मंजूरी मिली तो इस साल के अंत तक ग्रीन फीस की वसूली शुरू की जा सकती है। नगर निगम शिमला ने साल 2014 में भी ग्रीन फीस की वसूली शुरू की थी। इसके लिए तारादेवी के पास बैरियर लगाकर बाहरी राज्यों के वाहनों से फीस वसूली की जाती थी।
हालांकि, कुछ महीने बाद ही बैरियर को लेकर विवाद हो गया। नगर निगम को मजबूरन फीस वसूली बंद करनी पड़ी। इसके बाद पिछले पांच बजट में लगातार दोबारा फीस वसूली शुरू करने की घोषणा होती रही है। निगम प्रशासन का कहना है कि ग्रीन फीस वसूली का शिमला शहर की जनता पर असर नहीं पड़ेगा। इससे निगम को सालाना करीब 10 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। हालांकि, बीती भाजपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार से इस पर मुहर लगने की उम्मीद है।
सरकार ने पहले ही निगम को अपने आय के संसाधन बढ़ाने के निर्देश देकर इस बारे में संकेत भी दिए हैं। हालांकि, मंजूरी के बाद नगर निगम को फीस वसूली की व्यवस्था बनाने पर काम करना होगा। निगम शहर के प्रवेश द्वार पर सिंगल लेन सड़क बनाकर भी फीस वसूली शुरू करने की योजना बना रहा है। शहर में जिन लोगों के पास बाहरी राज्यों के नंबर वाले वाहन हैं, उन्हें स्थानीय पार्षद से प्रमाण पत्र बनवाने के बाद इस शुल्क से राहत मिलेगी। गौर हो कि शिमला में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के पर्यटक भारी संख्या में पर्यटन सीजन में आते हैं। इन पर्यटक वाहनों से ग्रीन फीस वसूली से नगर निगम को भारी कमाई होगी।
ऐसे होगी शुल्क वसूली
बस, ट्रक जैसे बड़े वाहन 300 रुपये
कार जैसे छोटे वाहन 200 रुपये
दोपहिया वाहन 50 रुपये
तहबाजारियों से वसूलेंगे शुल्क
शहर में पंजीकृत तहबाजारियों से मासिक 500 रुपये शुल्क लिया जाएगा। बजट में इस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। शहर में अब तक 749 तहबाजारी पंजीकृत किए जा चुके हैं। इनसे वसूले जाने वाले शुल्क से निगम को हर साल 60 लाख की आय होगी।