Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में अनाज के उत्पादन का क्षेत्र लगभग 98 हजार हेक्टेयर घट गया है। खाद्यान्न की पैदावार के तहत वित्तीय वर्ष 1997-98 में 853.88 हजार हेक्टेयर क्षेत्र था, जो 755.93 रह गया है।
यह आंकड़ा 2021-22 तक उपलब्ध समग्र जानकारी के आधार पर सामने आया है। यह खुलासा हिमाचल प्रदेश सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में हुआ है।वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य के कुल फसल उत्पादन में खाद्यान्न का योगदान लगभग 43 और वाणिज्यिक का योगदान 57 प्रतिशत था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल में उत्पादकता के स्तर में वृद्धि लाना और उच्च मूल्यों वाली फसलों में विविधता लाना दोनों ही प्राथमिकताएं हैं।
खाद्यान्न उत्पादन के लिए उपयोग किया जाने वाला क्षेत्र धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, क्योंकि किसानों का व्यावसायिक फसलों की ओर झुकाव बढ़ रहा है। हालांकि, गेहूं, मक्का, चावल, जौ और दलहन राज्य में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। राज्य की प्रमुख दलहनी फसलें खरीफ मौसम में माश, मूंग और राजमाह हैं। रबी मौसम में चना और मसूर हैं। इन फसलों की खेती के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल का लगभग 82 प्रतिशत है। वर्तमान में गेहूं 35.78 और मक्का की फसल 32.23 प्रतिशत क्षेत्रफल पर उगाई जा रही है। प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से 9.75 प्रतिशत क्षेत्र शुद्ध बुवाई के अंतर्गत आता है।
पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 में चावल की पैदावार घटकर 28.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
चावल का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 में घटकर लगभग 28.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि खाद्यान्न के लिए यह 5.8 प्रतिशत, गेहूं के लिए 4.2 प्रतिशत और मक्का के लिए 2.4 प्रतिशत था। सब्जी उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी हुई है। लक्षित उत्पादन के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में रागी यानी कोदा के उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना मैं लगभग 310 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
ऊना, हमीरपुर, सिरमौर, कांगड़ा, सोलन, मंडी और चंबा जिला में उच्च फसल सघनता राज्य के औसत से अधिक
जिला ऊना, हमीरपुर, सिरमौर, कांगड़ा, सोलन, मंडी और चंबा में उच्च फसल सघनता राज्य के औसत से अधिक है। इसे फसलों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की तरह देखा गया है। फसल सघनता का तात्पर्य एक कृषि वर्ष के दौरान शुद्ध बोए गए क्षेत्र के एक उच्च अनुपात में एक से अधिक बार फसल उगाने से है। फिर भी हिमाचल में फसल सघनता राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
राज्य में कृषि का गैर सिंचित क्षेत्र लगभग 80 प्रतिशत
राज्य में कृषि का गैर सिंचित क्षेत्र लगभग 80 प्रतिशत है। यानी इतने बड़े क्षेत्र की सिंचाई वर्षा पर निर्भर है। राज्य में औसत 1251 मिलीमीटर वर्षा होती है। कांगड़ा में सबसे ज्यादा वर्षा होती है, जबकि उसके बाद चंबा, सिरमौर और मंडी जिले का स्थान आता है।