पिछले कल हिमाचल सरकार द्वारा फोरलेन प्रभावित किसानों को सड़क से 50 मीटर दोनों तरफ नगर एवं ग्राम योजना विभाग (TCP) द्वारा फिर से शर्त लगा दी गई है, और अब आम लोग फोरलेन सड़क से उजड़ने के उपरांत अपना घर भी नहीं पाएंगे। क्योंकि राष्ट्रीय उच्च मार्ग द्वारा 29- 45 मीटर सड़क के बाद 5 मीटर कंट्रोल ब्रिड्थ बिना मुआवजे के जमीन छोड़नी पड़ेगी। उसके उपरांत 3 मीटर नगर ग्राम योजना के तहत और छोड़नी होगी और आम लोगो को 29-45 मीटर सड़क के उपरांत छोटे खेत होने के कारण 8 मीटर छोड़ कर घर व दुकान नहीं बना पाएंगे।
जबकि सभी ग्राम पंचायतें पहले ही TCP योजना को निरस्त करने के प्रस्ताव दिए गए थे, जिनको सरकार ने अनदेखा कर दिया और 50 मीटर TCP योजना को लागु कर दिया जो कि अपने आप में किसानो के साथ बेइन्साफी की गई है। फोरलेन सयुंकत संघर्ष समिति इससे पहले 10 सितम्बर, 2019 को कनेड में प्रभावित किसानों के मांग पत्र द्वारा अध्यक्ष, जोगिन्दर वालिया की अगुवाई में महेन्द्र सिंह ठाकुर, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, बागवानी व सैनिक कल्याण मंत्री एवं अध्यक्ष कैबिनेट सब कमेटी (नगर एवं ग्राम योजना) हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला से मांग की गई थी कि फोर लेन के दायरे में नगर एवं ग्राम योजना लागू होने से प्रभावित, किसानों एवं दुकानदारों को नगर एवं ग्राम योजना, 1977 से बाहर रखा जाए। जबकि सरकार ने फोरलेन प्रभावित किसानों की मांग को न मानते हुए सड़क से अब 50 मीटर दोनों तरफ व हिमाचल के फ़ॉर लेन के साथ लगते हुए गाँव में नगर एवं ग्राम योजना विभाग (TCP)लागु कर दी है। सरकार ने हिमाचल के किसानों के साथ पूरी तरह धोखा किया गया है। हम सरकार से मांग करते है कि फोरलेन के दायरे में आने वाले हिमाचल के सभी गाँव को पूरी तरह से नगर ग्राम योजना से बाहर किया जाए एवं आम किसानो को राहत दी जाए।
संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंदर वालिया ने आगे कहा कि फोरलेन संघर्ष समिति द्वारा हिमाचल सरकार, जिला प्रशासन व नगर एवं ग्राम योजना अधिकारियों के समक्ष पहले भी कई मांग पत्र दिए जा चुके है और उपरोक्त मांगों का कोई निपटारा नहीं किया गया है। जल्द ही प्रशासन एवं नगर एवं ग्राम योजना अधिकारियों को किसानों की समस्या का निपटारा करे। नही तो आने वाले दिनों में पुरे हिमाचल में सयुंक्त संघर्ष चलाया जायेगा।