National News: केंद्र सरकार ने एक नया सख्त आदेश जारी किया है। दूरसंचार विभाग के इस निर्देश के अनुसार, भारत में बिकने वाले हर नए मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम साइबर धोखाधड़ी और नकली आईएमईआई वाले फोन रोकने के लिए है। विपक्ष इसे नागरिकों की निजता पर हमला बता रहा है।
दूरसंचार विभाग ने यह आदेश 28 नवंबर को जारी किया। इसके तहत सभी नए और आयातित मोबाइल हैंडसेट में यह ऐप होना चाहिए। ऐप डिवाइस के सेटअप के समय स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए। निर्माता इसे छिपा या अक्षम नहीं कर सकेंगे। कंपनियों के पास आदेश मानने के लिए 90 दिन का समय है।
इस नए नियम का उद्देश्य साइबर सुरक्षा को मजबूत करना बताया जा रहा है। सरकार के मुताबिक, यह ऐप यूजर को अपने फोन का आईएमईआई नंबर जांचने की सुविधा देगा। डुप्लीकेट आईएमईआई सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माने जाते हैं। एक ही नंबर कई उपकरणों में इस्तेमाल हो सकता है।
ऐप की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
‘संचार साथी’ऐप से यूजर कई काम कर सकेंगे। वे किसी फोन के आईएमईआई से उसकी वास्तविकता की जांच कर पाएंगे। चोरी या खोए हुए फोन की रिपोर्ट दर्ज करना इसके जरिए संभव होगा। यूजर संदिग्ध फ्रॉड कॉल या मैसेज की भी शिकायत कर सकते हैं। अपने नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं, यह भी पता चल सकेगा।
सरकार ने आईएमईआई नंबर से छेड़छाड़ को गंभीर अपराध बताया है। दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत इसके लिए सजा का प्रावधान है। तीन साल तक की जेल या पचास लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। सरकार का मानना है कि यह कदम अवैध उपकरणों पर अंकुश लगाएगा।
विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल
इस आदेश पर राजनीतिक विपक्ष नेतीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इसे नागरिकों की निजता पर हमला बताया है। पार्टी के नेता के सी वेणुगोपाल ने इसे असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह ऐप हर भारतीय पर नजर रखने का डरावना टूल है।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी आरोप लगाया। उन्होंने इस ऐप को ‘पेगासस++’ नाम दिया है। शिवसेना के आदित्य ठाकरे ने सरकार के इस कदम को अघोषित तानाशाही कहा। विपक्ष ने तत्काल इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।
निर्माताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
मोबाइल फोन निर्माताकंपनियों को नए नियम का पालन करना होगा। उनके पास कार्यान्वयन के लिए सीमित समय है। मौजूदा स्टॉक में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए ऐप जोड़ना होगा। इससे उत्पादन लागत और प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है।
नए मोबाइल खरीदने वाले हर यूजर को यह ऐप मिलेगा। सेटअप के दौरान ऐप स्पष्ट दिखेगा। यूजर इसे अनइंस्टॉल नहीं कर पाएंगे। सरकार का दावा है कि इससे आम लोगों को सुरक्षा का फायदा मिलेगा। वे आसानी से अपने उपकरण की प्रामाणिकता सुनिश्चित कर सकेंगे।
दूरसंचार विभाग का मानना है कि यह ऐप पारदर्शिता लाएगा। यह ग्राहकों को सशक्त बनाएगा और धोखाधड़ी को कम करेगा। सरकार फोन की चोरी और नकली बाजार पर लगाम लगाना चाहती है। इस नीति का दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकता है।
तकनीकी विशेषज्ञों के बीच इस मामले पर चर्चा जारी है। कुछ लोग सुरक्षा के पहलू को महत्व दे रहे हैं। अन्य लोग निजता के संभावित जोखिम को लेकर चिंता जता रहे हैं। यह बहस डिजिटल अधिकारों और सुरक्षा के बीच संतुलन से जुड़ी है। भविष्य में इस विषय पर और बहस होने की संभावना है।
