Business News: भारत सरकार देश को वैश्विक खिलौना निर्माण केंद्र बनाने के लिए एक बड़ी योजना लेकर आ रही है। उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने 13,000 करोड़ रुपये की एक नई प्रोत्साहन योजना तैयार की है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू खिलौना उत्पादन बढ़ाना और चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करना है।
सरकार इस योजना के माध्यम से खिलौना उद्योग को व्यापक वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। योजना में 500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर रियायती सीमा शुल्क का लाभ शामिल है। पात्रता के लिए कंपनियों को निवेश, बिक्री और निर्यात से जुड़ी शर्तों को पूरा करना होगा। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा है।
वित्त मंत्री की घोषणा के बाद मिली गति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2026 के बजट में खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा की थी। इसी के अनुसरण में डीपीआईआईटी ने यह विस्तृत योजना तैयार की है। इससे पहले 3,489 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना प्रस्तावित की गई थी लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली थी।
सरकार वर्तमान में चल रही 14 पीएलआई योजनाओं के प्रभाव का आकलन कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नई योजना अभी चर्चा के दौर में है। सरकार का लक्ष्य इसे जल्द से जल्द लागू करने का है ताकि भारतीय खिलौना उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।
तीन प्रमुख प्रोत्साहनों का प्रावधान
प्रस्तावित योजना के तहत निर्माता कंपनियों को तीन प्रकार के वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे। टर्नओवर लिंक्ड इंसेंटिव वार्षिक कारोबार और निवेश लक्ष्य पूरा करने वाली कंपनियों को मिलेगा। लोकलाइजेशन लिंक्ड इंसेंटिव कच्चे माल के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देगा।
एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव नई नौकरियों के सृजन पर केंद्रित होगा। इन सभी प्रोत्साहनों का लाभ पात्र कंपनियों को लगातार पांच वर्षों तक मिलता रहेगा। इस व्यापक दृष्टिकोण से उद्योग के हर पहलू को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
वैश्विक बाजार में भारत की वर्तमान स्थिति
वर्ष 2024 में वैश्विक खिलौना बाजार का आकार 114 अरब डॉलर आंका गया है। इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र 1.7 प्रतिशत है। इसकी तुलना में चीन का वैश्विक बाजार पर 58 प्रतिशत का दबदबा है। वियतनाम, जर्मनी और अमेरिका अन्य प्रमुख निर्माता देश हैं।
भारत के खिलौना निर्यात में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। फिर भी वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए substantial efforts की आवश्यकता है। नई योजना इसी दिशा में एक साहसिक कदम मानी जा रही है।
मेड इन इंडिया ब्रांड को वैश्विक पहचान
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा था कि योजना उच्च गुणवत्ता वाले और टिकाऊ खिलौनों के निर्माण पर केंद्रित होगी। इसका लक्ष्य मेड इन इंडिया ब्रांड को वैश्विक पहचान दिलाना है। सरकार को उम्मीद है कि इससे स्थानीय विनिर्माण, रोजगार और निर्यात तीनों को बल मिलेगा।
खिलौना उद्योग में छोटे और मध्यम उद्यमों की महत्वपूर्ण भागीदारी है। नई योजना से इन उद्यमों के लिए विस्तार के अवसर सृजित होंगे। साथ ही देश को विदेशी मुद्रा की बचत और अर्जन में भी मदद मिलेगी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
यह योजना आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और मजबूती प्रदान करेगी। खिलौना उद्योग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। कुशल और अकुशल दोनों तरह के श्रमिकों को इससे लाभ मिलने की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य भारत को विश्व का खिलौना हब बनाना है।
नई योजना के लागू होने के बाद घरेलू निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी। इससे भारतीय खिलौनों की गुणवत्ता और नवाचार में भी सुधार आएगा। समग्र रूप से यह अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम साबित होगा।
