Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को सरकारी नौकरी और व्यापार से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक पेश किया, जिसे विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद सदन ने मंजूरी दे दी। इसके अलावा, छोटे दुकानदारों को पंजीकरण से राहत देने वाला विधेयक भी ध्वनिमत से पास हो गया। सरकार का दावा है कि इन बदलावों से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।
भर्ती और सेवा शर्तों में संशोधन
सदन में संशोधन विधेयक पेश करते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसके फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि इससे सरकारी नौकरी में नियुक्ति और पदोन्नति की प्रक्रिया का निपटारा जल्दी होगा। सीएम ने स्पष्ट किया कि पूर्व प्रकाशन की कोई बाध्यता पहले भी नहीं थी। यह बदलाव प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए किया गया है। हालांकि, विपक्ष ने इसे कर्मचारियों और बेरोजगारों के हितों के खिलाफ बताया।
विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल
भाजपा विधायकों ने इस विधेयक का तीखा विरोध किया। नयना देवी के विधायक रणधीर शर्मा ने मांग की कि इस संशोधन को तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रकाशन की शर्त को हटाना गलत है। बिलासपुर विधायक त्रिलोक जम्वाल ने आरोप लगाया कि यह किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो सकती है। विपक्ष का कहना है कि यह संशोधन बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय है।
छोटे दुकानदारों को पंजीकरण से छूट
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से जुड़ा विधेयक पेश किया। अब 10 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों को श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं कराना होगा। इसके साथ ही, तीन महीने में ओवरटाइम की सीमा 50 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है। हालांकि, काम के बदले कर्मचारियों को सामान्य वेतन से दोगुना मानदेय देना अनिवार्य होगा।
सुरक्षा पर विपक्ष की चिंता
श्रम कानून में बदलाव पर भी विपक्ष ने सवाल खड़े किए। विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में बिना पंजीकरण के काम करना सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले हर कारोबारी का रिकॉर्ड होना जरूरी है। रणधीर शर्मा ने भी कहा कि पंजीकरण सभी के लिए अनिवार्य होना चाहिए। मंत्री ने जवाब दिया कि यह फैसला व्यापार को सरल बनाने के लिए लिया गया है।
