Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पटवारी भर्ती 2025 को लेकर विवाद गहरा गया है। गदर फ्रंट के संयोजक रवि कुमार दलित ने आरक्षित वर्ग (SC) के लिए आवेदन शुल्क में छूट की मांग उठाई है। संगठन ने आयोग पर संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि Sarkari Naukri की चाह रखने वाले गरीब छात्रों पर 800 रुपये का बोझ डालना गलत है। फ्रंट ने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।
फीस को लेकर क्या है विवाद?
हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग (HPRCA) ने हाल ही में 530 पटवारी पदों के लिए अधिसूचना जारी की है। इसमें सभी वर्गों के लिए एक समान 800 रुपये फीस रखी गई है। इसमें SC, ST और OBC उम्मीदवारों को कोई राहत नहीं मिली है। गदर फ्रंट ने इसकी तुलना केंद्र सरकार की भर्तियों से की है। UPSC या SSC जैसी Sarkari Naukri में आरक्षित वर्गों को फीस में पूरी छूट मिलती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी आरक्षित वर्ग को फीस में रियायत दी जाती है। रवि कुमार दलित का तर्क है कि हिमाचल में पूरी फीस लेना आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के साथ अन्याय है।
संवैधानिक अधिकारों का हवाला
संगठन ने अपनी मांग के समर्थन में संविधान के कई अनुच्छेदों का हवाला दिया है। गदर फ्रंट के संयोजक ने कहा कि यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। अनुच्छेद 15(4) और 16(4) राज्यों को SC/ST के लिए विशेष प्रावधान बनाने की शक्ति देते हैं। इसके अलावा अनुच्छेद 46 राज्य को कमजोर वर्गों के आर्थिक हितों की रक्षा का निर्देश देता है। केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के नियमों में भी Sarkari Naukri के लिए फीस और आयु में छूट का स्पष्ट प्रावधान है।
हाईकोर्ट जाने की तैयारी
गदर फ्रंट ने अपनी मांगों को लेकर एक ठोस योजना बनाई है। वे सबसे पहले आयोग को सामूहिक ज्ञापन भेजेंगे। इसके बाद RTI दाखिल करके छूट न देने का कारण पूछा जाएगा। संगठन मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री को भी पत्र लिखेगा। मांग पूरी न होने पर हिमाचल हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की जाएगी। संगठन का दावा है कि यह नीति असंवैधानिक है। वे Sarkari Naukri में न्याय पाने के लिए अनुच्छेद 226 के तहत कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
