Digital India News: गूगल सर्च पर की गई एक साधारण सी खोज आपके लिए गंभीर कानूनी परेशानी का कारण बन सकती है। साइबर कानून विशेषज्ञों के अनुसार कुछ विशेष प्रकार की खोजें भारतीय दंड संहिता और आईटी अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध मानी जाती हैं। ऐसी खोजें करने वाले यूजरों की पहचान साइबर पुलिस द्वारा ट्रेस की जा सकती है।
हथियार निर्माण से जुड़ी जानकारी
बम बनाने की विधि या हथियारों के निर्माण से संबंधित जानकारी खोजना गंभीर अपराध है। यह आतंकवाद निरोधक कानूनों का उल्लंघन माना जाता है। इंटेलिजेंस एजेंसियां इस तरह की खोजों पर नजर रखती हैं। संदिग्ध गतिविधि पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है।
नशीले पदार्थों की जानकारी
नशीले पदार्थों की तैयारी या खरीद-बिक्री से जुड़ी जानकारी खोजना भी अपराध है। यह NDPS अधिनियम के तहत दंडनीय है। ऐसी खोजें करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। अधिकारी यूजर की डिजिटल गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
बाल अश्लील सामग्री
नाबालिगों से जुड़ी अश्लील सामग्री की खोज करना सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। POCSO अधिनियम और आईटी अधिनियम इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान करते हैं। इसके लिए सात साल तक की कैद और भारी जुर्माना हो सकता है। साइबर सेल इस पर विशेष निगरानी रखती है।
साइबर अपराधों से जुड़ी जानकारी
हैकिंग ट्रिक्स या बैंकिंग धोखाधड़ी की जानकारी खोजना भी खतरनाक हो सकता है। यह साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है। ऐसी जानकारी खोजने वालों को साइबर अपराधी माना जा सकता है। पुलिस मामले की जांच कर सकती है और कार्रवाई कर सकती है।
कानूनी निगरानी तंत्र
गूगल हर यूजर की खोज गतिविधि का रिकॉर्ड रखता है। आपत्तिजनक खोजों का डेटा सर्वर पर संग्रहीत होता है। साइबर पुलिस आवश्यकता पड़ने पर कानूनी प्रक्रिया के तहत इस डेटा तक पहुंच सकती है। यूजर की लोकेशन और पहचान का पता लगाया जा सकता है।
