Business News: विश्व स्वर्ण परिषद की ताजा रिपोर्ट ने निवेशकों के लिए बड़ी भविष्यवाणी की है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दो वर्षों में सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं। दिसंबर 2026 तक सोना मौजूदा स्तर से 15 से 30 प्रतिशत तक ऊपर जा सकता है। फिलहाल सोना 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास कारोबार कर रहा है। इस अनुमान के अनुसार सोना 1.69 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर सकता है।
इस साल सोने ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। गोल्ड की कीमतें अब तक 50 से 53 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव ने सोने की मांग को बढ़ाया है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी अपना सोना भंडार बढ़ा रहे हैं। यह सोने के लिए अनुकूल वातावरण बना रहा है।
सोने की कीमत बढ़ने के प्रमुख कारण
विश्व स्वर्ण परिषद कीरिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण कारण बताए गए हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश की ओर खींचा है। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और देशों के बीच बढ़ता तनाव भी एक कारक है। इसके चलते सोने की वैश्विक खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कम ब्याज दरों ने भी सोने को आकर्षक बनाया है।
अस्थिर वैश्विक माहौल ने आने वाले समय के लिए मजबूत परिस्थितियां बना दी हैं। केंद्रीय बैंक लगातार अपने सोने के भंडार में वृद्धि कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति सोने की मांग को निरंतर समर्थन देती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रवृत्ति आने वाले वर्षों तक जारी रह सकती है। इससे सोने की कीमतों को ऊपरी समर्थन मिलेगा।
संभावित गिरावट की चेतावनी
विश्व स्वर्ण परिषद नेबढ़त के अनुमान के साथ चेतावनी भी जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार 2026 में सोने की कीमतों में गिरावट भी आ सकती है। अगर अमेरिका में आर्थिक वृद्धि अपेक्षा से अधिक मजबूत रहती है तो स्थिति बदल सकती है। डोनाल्ड ट्रम्प की आर्थिक नीतियों के सफल होने पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिका में महंगाई बढ़ने पर फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा सकता है। ऐसे में सोने की कीमतें 5 से 20 प्रतिशत तक नीचे आ सकती हैं। निवेशक उच्च ब्याज देने वाली संपत्तियों की ओर लौट सकते हैं। अमेरिकी बाजारों में निवेश बढ़ने से सोने की मांग घट सकती है। इससे कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में हालिया रुझान
कमजोर वैश्विक संकेतोंके बीच घरेलू बाजार में सोने के दाम टूटे हैं। अमेरिकी फेड की बैठक से पहले निवेशक सतर्क हैं। दिल्ली बाजार में सोना 600 रुपये गिरकर 1,31,600 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। चांदी भी 900 रुपये गिरकर 1,80,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। यह गिरावट अल्पकालिक समेकन का संकेत देती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हालात समान हैं। हाजिर सोना 0.15 प्रतिशत गिरकर 4,197.10 डॉलर प्रति औंस पर आया। हाजिर चांदी 2 प्रतिशत टूटकर 57.34 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि फेडरल रिजर्व के फैसले से पहले बाजार में खरीदारी सीमित है। इससे कीमतों में अस्थायी नरमी आई है।
मजबूत डॉलर का संभावित प्रभाव
विश्व स्वर्ण परिषद कीरिपोर्ट मजबूत डॉलर के जोखिम की ओर भी इशारा करती है। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने पर सोने की चमक फीकी पड़ सकती है। निवेशकों का रुझान इक्विटी और उच्च ब्याज निवेश की ओर बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में गोल्ड ईटीएफ से बड़ी निकासी हो सकती है। इसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ेगा।
मजबूत आर्थिक आंकड़े और बढ़ी हुई ब्याज दरें डॉलर को समर्थन देंगी। ऐसे में सोने जैसी गैर-ब्याज आधारित संपत्तियों की मांग घटेगी। निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों की ओर आकर्षित होंगे। यह बदलाव सोने की चमक को कम कर सकता है। हालांकि यह परिदृश्य वर्तमान स्थितियों पर निर्भर करेगा।
केंद्रीय बैंकों की भूमिका और भविष्य के संकेत
दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने के प्रमुख खरीदार बने हुए हैं। यह प्रवृत्ति सोने की मांग को मजबूत आधार प्रदान करती है। केंद्रीय बैंक मुद्रा जोखिमों को कम करने के लिए सोना खरीद रहे हैं। यह रणनीति विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के दौर में महत्वपूर्ण है। सोना मुद्रा भंडार को विविधता प्रदान करता है।
भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक उथल-पुथल ने सोने की प्रासंगिकता बढ़ा दी है। निवेशक लंबी अवधि के संरक्षण के लिए सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह धातु मुद्रास्फीति के खिलाफ हेज के रूप में कार्य करती है। आर्थिक अनिश्चितता के समय में सोने की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है।
निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सावधानियां
विश्व स्वर्ण परिषद कीरिपोर्ट दोनों संभावनाओं की ओर इशारा करती है। निवेशकों को बाजार की बारीकियों को समझना चाहिए। वैश्विक आर्थिक नीतियों और घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णयों का सोने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ब्याज दरों में बदलाव निवेश के रुझान बदल सकते हैं।
विविधीकरण निवेश रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोना पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है। निवेशकों को लंबी अवधि के दृष्टिकोण के साथ निवेश करना चाहिए। अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए। विश्वसनीय स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर निर्णय लेना उचित है।
