World News: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है। वैश्विक स्तर पर सरकारों का कर्ज खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि यह संकट और गहरा सकता है। संस्था के अनुसार 2030 तक दुनिया का सार्वजनिक ऋण वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के बराबर हो सकता है।
इस रिपोर्ट में आईएमएफ ने सबसे ज्यादा कर्जदार देशों की सूची भी जारी की है। यह सूची देश के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर्ज पर आधारित है। इस सूची में जापान पहले नंबर पर है। जापान का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था के आकार का लगभग ढाई गुना है। यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक मानी जा रही है।
जापान में बढ़ती बुजुर्ग आबादी इसकी एक बड़ी वजह है। स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता खर्च भी सरकार पर दबाव डाल रहा है। देश की आर्थिक वृद्धि दर भी लंबे समय से धीमी चल रही है। इन सब कारणों ने मिलकर जापान पर कर्ज का भारी बोझ लाद दिया है। देश का कुल कर्ज एक हजार अरब डॉलर से अधिक है।
संघर्ष और अशांति वाले देशों पर भारी कर्ज
सूचीमें दूसरे स्थान पर अफ्रीकी देश सूडान है। सूडान लगातार राजनीतिक संघर्ष और अस्थिरता का सामना कर रहा है। देश में चल रहे युद्ध ने आर्थिक व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। इस वजह से सरकार के ऊपर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है। सूडान का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था के आकार का 221 प्रतिशत से अधिक है।
तीसरे नंबर पर सिंगापुर है। सिंगापुर एक समृद्ध और आर्थिक रूप से मजबूत देश है। लेकिन यहां कर्ज का उच्च अनुपात दीर्घकालिक निवेश से जुड़ा है। सरकार बड़ी बुनियादी परियोजनाओं के लिए बॉन्ड जारी कर फंड जुटाती है। इसलिए उसका कर्ज अनुपात जीडीपी के 175 प्रतिशत के करीब दिखाई देता है।
यूरोपीय देशों की चुनौतियां
ग्रीस यूरोप काएक ऐसा देश है जो अभी भी वित्तीय संकट से उबर नहीं पाया है। 2010 की मंदी ने ग्रीस की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया था। तब से देश लगातार सुधार के प्रयास कर रहा है। लेकिन सरकारी खर्च और आर्थिक विकास के बीच संतुलन नहीं बन पा रहा। ग्रीस का कर्ज अनुपात 147 प्रतिशत से अधिक है।
इटली भी यूरोप की एक बड़ी अर्थव्यवस्था है जो मुश्किलों में है। देश सालों से धीमी आर्थिक वृद्धि दर का सामना कर रहा है। रोजगार और औद्योगिक उत्पादन में कमी आई है। इसका सीधा असर सरकार के वित्त पर पड़ा है। इटली का कर्ज उसकी जीडीपी के 136 प्रतिशत से अधिक है।
फ्रांस की स्थिति भी काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। देश में सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी खर्च होता है। इसके बावजूद आर्थिक विकास की रफ्तार संतोषजनक नहीं है। इस असंतुलन ने फ्रांस पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया है। आईएमएफ के मुताबिक फ्रांस का कर्ज अनुपात 116 प्रतिशत है।
अन्य क्षेत्रों के देशों की स्थिति
मध्य पूर्व काछोटा देश बहरीन तेल की आय पर बहुत अधिक निर्भर रहा है। वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव ने देश के वित्त को प्रभावित किया है। राजस्व घटने से सरकार को कर्ज लेने की जरूरत पड़ी। बहरीन का कर्ज अब उसकी अर्थव्यवस्था के आकार के 142 प्रतिशत के बराबर है।
मालदीव एक ऐसा देश है जिसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर टिकी है। कोविड-19 महामारी के दौरान पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा। इसके अलावा विकास परियोजनाओं के लिए भी देश ने कर्ज लिया। इन कारणों से मालदीव का कर्ज अनुपात 131 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
विकासशील देशों पर दबाव
अफ्रीकीदेश सेनेगल तेज विकास करना चाहता है। इसके लिए उसने बड़ी बुनियादी परियोजनाएं शुरू की हैं। इन परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए देश ने बाहरी कर्ज लिया। इससे देश की आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ गया है। सेनेगल पर अब उसकी जीडीपी के 122 प्रतिशत से अधिक का कर्ज है।
संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन अमेरिकी सरकार पर भी कर्ज का भारी बोझ है। बढ़ते सरकारी खर्च और राजनीतिक गतिरोध ने इस समस्या को बढ़ाया है। अमेरिका का कर्ज उसकी जीडीपी के 125 प्रतिशत के बराबर पहुंच चुका है। यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है।
आईएमएफ की यह रिपोर्ट वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। बढ़ते सार्वजनिक ऋण से कई देशों की विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। भविष्य में करों में वृद्धि या सरकारी खर्च में कटौती की नौबत आ सकती है। इससे आम लोगों के जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
